गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) |
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14:16, 6 मार्च 2012 के समय का अवतरण
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एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- रेवती (बहुविकल्पी) |
- रेवती रेवत की कन्या और बलराम की पत्नी थीं।
- रेवत कुकुड्मी अपने सौ भाइयों में सबसे बड़ा था। उसकी पुत्री का नाम रेवती था।
- महाराज रेवत अपनी पुत्री रेवती को लेकर ब्रह्मा के पास गये।
- वह उसके योग्य वर की खोज में थे।
- उस समय हाहा, हूहू नामक दो गंधर्व गान प्रस्तुत कर रहे थे।
- गान समाप्त होने के उपरांत उन्होंने ब्रह्मा से इच्छित प्रश्न पूछा।
- ब्रह्मा ने कहा,"यह गान जो तुम्हें अल्पकालिक लगा, वह चतुर्युग तक चला। जिन वरों की तुम चर्चा कर रहे हो, उनके पुत्र-पौत्र भी अब जीवित नहीं हैं। तुम विष्णु के साथ इसका पाणिग्रहण कर दो। वह बलराम के रूप में अवतरित हैं।"
- राजा रेवती को लेकर पृथ्वी पर गये।
- विभिन्न नगर जैसे छोड़ गये थे, वैसे अब शेष नहीं थे।
- मनुष्यों की लम्बाई बहुत कम हो गयी थी।
- बलराम ने रेवती से विवाह कर लिया। उसे लंबा देखकर हलधर (बलराम) ने अपने हल की नोक से दबाकर उसकी लंबाई कम कर दी।
- वह अन्य सामान्य नारियों के क़द की हो गयी।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ विष्णु पुराण, 4.1
बाहरी कड़ियाँ
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