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− | * | + | *लगभग 700 ई. पहले भवभूति एक भारतीय नाटककार और कवि थे। जिनके [[संस्कृत]] में लिखे नाटक अपने रहस्य और सजीव चरित्र चित्रण के लिखे विख्यात हैं और वह नाटक [[कालिदास]] के क्षेष्ठ: नाटकों की बराबरी करते हैं। |
− | *भवभूति विदर्भ के ब्राह्राण [[कन्नौज]] ([[उत्तर प्रदेश]] राज्य,उत्तर [[भारत]] ) के राजा यशोवर्मन के दरबार में थे। | + | *भवभूति विदर्भ के ब्राह्राण [[कन्नौज]] ([[उत्तर प्रदेश]] राज्य, उत्तर [[भारत]]) के राजा यशोवर्मन के दरबार में थे। |
− | *भवभूति अपने तीन नाटकों के लिए विशेष रुप से प्रसिद्ध | + | *भवभूति अपने तीन नाटकों के लिए विशेष रुप से प्रसिद्ध थे–<br /> |
− | + | #'''महावीरचरित-''' (महानायक के पराक्रम), जिसमें [[रामायण]] के [[रावण]]–वध से लेकर [[राम]] के राजतिलक तक की मुख्य घटनाएँ सात अंको में वर्णित हैं। <br /> | |
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− | + | #'''उत्तररामचरित-''' (राम के बाद के कार्य) में राम कथा, उनके राजतिलक से लेकर [[सीता]] वनवास और अंत में दोनों के अंतिम मिलन तक की कथा हैं। इस अंतिम नाटक में हालांकि शेष दो नाटकों की अपेक्षा घटनाक्रम काफ़ी कम है। पर इसमें भवभूति की चरित्र चित्रण की प्रतिभा और रहस्य व नाटकीय उत्कर्ष की क्षमता अपने चरम सीमा पर है । | |
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10:44, 20 फ़रवरी 2011 का अवतरण
- लगभग 700 ई. पहले भवभूति एक भारतीय नाटककार और कवि थे। जिनके संस्कृत में लिखे नाटक अपने रहस्य और सजीव चरित्र चित्रण के लिखे विख्यात हैं और वह नाटक कालिदास के क्षेष्ठ: नाटकों की बराबरी करते हैं।
- भवभूति विदर्भ के ब्राह्राण कन्नौज (उत्तर प्रदेश राज्य, उत्तर भारत) के राजा यशोवर्मन के दरबार में थे।
- भवभूति अपने तीन नाटकों के लिए विशेष रुप से प्रसिद्ध थे–
- महावीरचरित- (महानायक के पराक्रम), जिसमें रामायण के रावण–वध से लेकर राम के राजतिलक तक की मुख्य घटनाएँ सात अंको में वर्णित हैं।
- मालती माधव- दस अंकों का पारिवारिक नाटक है, जिसमें भावोत्तेजक, किंतु कहीं–कहीं असंभव सी घटनाएँ हैं।
- उत्तररामचरित- (राम के बाद के कार्य) में राम कथा, उनके राजतिलक से लेकर सीता वनवास और अंत में दोनों के अंतिम मिलन तक की कथा हैं। इस अंतिम नाटक में हालांकि शेष दो नाटकों की अपेक्षा घटनाक्रम काफ़ी कम है। पर इसमें भवभूति की चरित्र चित्रण की प्रतिभा और रहस्य व नाटकीय उत्कर्ष की क्षमता अपने चरम सीमा पर है ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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