"पावस रितु बृन्दावनकी -बिहारी लाल" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - "३" to "3")
छो (Text replace - "४" to "4")
 
पंक्ति 38: पंक्ति 38:
 
रितु राजै है, स्याम की सुंदर मुरली बाजै है॥3॥
 
रितु राजै है, स्याम की सुंदर मुरली बाजै है॥3॥
 
(रसिक) बिहारीजी रो भीज्यो पीतांबर प्यारी जी री चूनर सारी है।
 
(रसिक) बिहारीजी रो भीज्यो पीतांबर प्यारी जी री चूनर सारी है।
सुखकारी है, कुंजाँ झूल रह्या पिय प्यारी है॥४॥
+
सुखकारी है, कुंजाँ झूल रह्या पिय प्यारी है॥4॥
  
 
</poem>
 
</poem>

10:45, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

पावस रितु बृन्दावनकी -बिहारी लाल
बिहारी लाल
कवि बिहारी लाल
जन्म 1595
जन्म स्थान ग्वालियर
मृत्यु 1663
मुख्य रचनाएँ बिहारी सतसई
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
बिहारी लाल की रचनाएँ

पावस रितु बृन्दावन की दुति दिन-दिन दूनी दरसै है।
छबि सरसै है लूमझूम यो सावन घन घन बरसै है॥1॥
हरिया तरवर सरवर भरिया जमुना नीर कलोलै है।
मन मोलै है, बागों में मोर सुहावणो बोलै है॥2॥
आभा माहीं बिजली चमकै जलधर गहरो गाजै है।
रितु राजै है, स्याम की सुंदर मुरली बाजै है॥3॥
(रसिक) बिहारीजी रो भीज्यो पीतांबर प्यारी जी री चूनर सारी है।
सुखकारी है, कुंजाँ झूल रह्या पिय प्यारी है॥4॥















संबंधित लेख