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|प्रसिद्धि=राजनेता, लेखक
 
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'''शिक्षा और संस्कृति मंत्री'''- [[30 जुलाई]], [[1979]] से [[14 जनवरी]], [[1980]] तक<br />
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|अन्य जानकारी=कर्ण सिंह कई वर्षों तक भारतीय वन्यजीव बोर्ड के अध्यक्ष और अत्यधिक सफल - प्रोजेक्ट टाइगर - के अध्यक्ष रहने के कारण उसके आजीवन संरक्षक हैं।
 
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}}'''कर्ण सिंह''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Karan Singh'', जन्म- [[9 मार्च]], [[1931]]) एक भारतीय राजनेता, लेखक और कूटनीतिज्ञ हैं। वर्ष [[1949]] में [[प्रधानमंत्री]]  [[पं. जवाहरलाल नेहरू]] के हस्तक्षेप पर उनके पिता (महाराजा हरि सिंह) ने उन्हें राजप्रतिनिधि नियुक्त कर दिया। इसके पश्चात् अगले 18 वर्षों के दौरान वे राजप्रतिनिधि, निर्वाचित सदर-ए-रियासत और [[जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल]] के पदों पर आसीन रहे।
कर्ण सिंह ([[अंग्रेज़ी]]:Karan Singh) (जन्म- 9 मार्च, 1931) एक भारतीय राजनेता, लेखक और कूटनीतिज्ञ हैं। वर्ष 1949 में [[प्रधानमंत्री]]  [[पं. जवाहरलाल नेहरू]] के हस्तक्षेप पर उनके पिता (महाराजा हरि सिंह) ने उन्हें राजप्रतिनिधि नियुक्त कर दिया। इसके पश्चात अगले 18 वर्षों के दौरान वे राजप्रतिनिधि, निर्वाचित सदर-ए-रियासत और [[राज्यपाल]] के पदों पर आसीन रहे।
 
 
==जीवन परिचय==
 
==जीवन परिचय==
 
कर्ण सिंह का जन्म 9 मार्च, 1931 को [[फ़्रांस]] में हुआ। [[जम्मू और कश्मीर]] के महाराजा हरि सिंह और महारानी तारा देवी के उत्तराधिकारी (युवराज) के रूप में जन्मे डॉ. कर्ण सिंह ने 18 वर्ष की उम्र में ही राजनीति में प्रवेश कर लिया था।  
 
कर्ण सिंह का जन्म 9 मार्च, 1931 को [[फ़्रांस]] में हुआ। [[जम्मू और कश्मीर]] के महाराजा हरि सिंह और महारानी तारा देवी के उत्तराधिकारी (युवराज) के रूप में जन्मे डॉ. कर्ण सिंह ने 18 वर्ष की उम्र में ही राजनीति में प्रवेश कर लिया था।  
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==राजनीतिक जीवन==
 
==राजनीतिक जीवन==
 
डॉ. कर्ण सिंह को 1967 में प्रधानमंत्री [[इंदिरा गाँधी]] के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। इसके तुरन्त बाद कर्ण सिंह [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के प्रत्याशी के रूप में जम्मू और कश्मीर के [[उधमपुर]] संसदीय क्षेत्र से भारी बहुमत से जीतकर [[लोकसभा]] के सदस्य बनकर [[संसद]] में प्रवेश हुए। इसी क्षेत्र से वे वर्ष 1971, 1977 और 1980 में दोबारा चुने गए।
 
डॉ. कर्ण सिंह को 1967 में प्रधानमंत्री [[इंदिरा गाँधी]] के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। इसके तुरन्त बाद कर्ण सिंह [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के प्रत्याशी के रूप में जम्मू और कश्मीर के [[उधमपुर]] संसदीय क्षेत्र से भारी बहुमत से जीतकर [[लोकसभा]] के सदस्य बनकर [[संसद]] में प्रवेश हुए। इसी क्षेत्र से वे वर्ष 1971, 1977 और 1980 में दोबारा चुने गए।
====मंत्री पद====
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==मंत्री पद==
 
डॉ. कर्ण सिंह को पहले पर्यटन और नगर विमानन मंत्रालय सौंपा गया। वे 6 वर्ष तक इस मंत्रालय में रहे, जहाँ उन्होंने अपनी सूक्ष्मदृष्टि और सक्रियता की अमिट छाप छोड़ी। 1973 में वे स्वास्थ्य और परिवार नियोजन मंत्री बने। 1976 में जब उन्होंने राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की घोषणा की तो परिवार नियोजन का विषय एक राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के रूप में उभरा। 1979 में कर्ण सिंह शिक्षा और संस्कृति मंत्री बने।
 
डॉ. कर्ण सिंह को पहले पर्यटन और नगर विमानन मंत्रालय सौंपा गया। वे 6 वर्ष तक इस मंत्रालय में रहे, जहाँ उन्होंने अपनी सूक्ष्मदृष्टि और सक्रियता की अमिट छाप छोड़ी। 1973 में वे स्वास्थ्य और परिवार नियोजन मंत्री बने। 1976 में जब उन्होंने राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की घोषणा की तो परिवार नियोजन का विषय एक राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के रूप में उभरा। 1979 में कर्ण सिंह शिक्षा और संस्कृति मंत्री बने।
====समाज सेवक====
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==समाज सेवक==
 
डॉ. कर्ण सिंह देशी रजवाड़े के अकेले ऐसे पूर्व शासक थे, जिन्होंने स्वेच्छा से प्रिवी पर्स का त्याग किया। उन्होंने अपनी सारी राशि अपने माता-पिता के नाम पर [[भारत]] में मानव सेवा के लिए स्थापित 'हरि-तारा धर्मार्थ न्यास' को दे दी। उन्होंने जम्मू के अपने [[अमर महल पैलेस संग्रहालय जम्मू|अमर महल]] (राजभवन) को संग्रहालय एवं पुस्तकालय में परिवर्तित कर दिया। इसमें पहाड़ी लघुचित्रों और आधुनिक [[भारतीय कला]] का अमूल्य संग्रह तथा 20 हज़ार से अधिक पुस्तकों का निजी संग्रह है। डॉ. कर्ण सिंह धर्मार्थ न्यास के अन्तर्गत चल रहे सौ से अधिक हिन्दू तीर्थ-स्थलों तथा मंदिरों सहित जम्मू और कश्मीर में अन्य कई न्यासों का काम-काज भी देखते हैं। हाल ही में उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान, संस्कृति और चेतना केंद्र की स्थापना की है। यह केंद्र सृजनात्मक दृष्टिकोण के एक महत्त्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभर रहा है।
 
डॉ. कर्ण सिंह देशी रजवाड़े के अकेले ऐसे पूर्व शासक थे, जिन्होंने स्वेच्छा से प्रिवी पर्स का त्याग किया। उन्होंने अपनी सारी राशि अपने माता-पिता के नाम पर [[भारत]] में मानव सेवा के लिए स्थापित 'हरि-तारा धर्मार्थ न्यास' को दे दी। उन्होंने जम्मू के अपने [[अमर महल पैलेस संग्रहालय जम्मू|अमर महल]] (राजभवन) को संग्रहालय एवं पुस्तकालय में परिवर्तित कर दिया। इसमें पहाड़ी लघुचित्रों और आधुनिक [[भारतीय कला]] का अमूल्य संग्रह तथा 20 हज़ार से अधिक पुस्तकों का निजी संग्रह है। डॉ. कर्ण सिंह धर्मार्थ न्यास के अन्तर्गत चल रहे सौ से अधिक हिन्दू तीर्थ-स्थलों तथा मंदिरों सहित जम्मू और कश्मीर में अन्य कई न्यासों का काम-काज भी देखते हैं। हाल ही में उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान, संस्कृति और चेतना केंद्र की स्थापना की है। यह केंद्र सृजनात्मक दृष्टिकोण के एक महत्त्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभर रहा है।
====विभिन्न पदों पर आसीन====
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==विभिन्न पदों पर आसीन==
 
* कर्ण सिंह कई वर्षों तक जम्मू और कश्मीर विश्वविद्यालय और [[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]] के कुल अधिपति भी रहे हैं।  
 
* कर्ण सिंह कई वर्षों तक जम्मू और कश्मीर विश्वविद्यालय और [[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]] के कुल अधिपति भी रहे हैं।  
 
* कर्ण सिंह केंद्रीय संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष, भारतीय लेखक संघ, भारतीय राष्ट्र मण्डल सोसायटी और दिल्ली संगीत सोसायटी के सभापति रहे हैं।  
 
* कर्ण सिंह केंद्रीय संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष, भारतीय लेखक संघ, भारतीय राष्ट्र मण्डल सोसायटी और दिल्ली संगीत सोसायटी के सभापति रहे हैं।  
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* कर्ण सिंह कई वर्षों तक भारतीय वन्यजीव बोर्ड के अध्यक्ष और अत्यधिक सफल - प्रोजेक्ट टाइगर - के अध्यक्ष रहने के कारण उसके आजीवन संरक्षक हैं।
 
* कर्ण सिंह कई वर्षों तक भारतीय वन्यजीव बोर्ड के अध्यक्ष और अत्यधिक सफल - प्रोजेक्ट टाइगर - के अध्यक्ष रहने के कारण उसके आजीवन संरक्षक हैं।
 
==सम्मान और पुरस्कार==
 
==सम्मान और पुरस्कार==
कर्ण सिंह को अनेक मानद उपाधियों और पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इनमें - बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और सोका विश्वविद्यालय, तोक्यो से प्राप्त डाक्टरेट की मानद उपाधियाँ उल्लेखनीय हैं। सन् 2005 में भारत सरकार ने कर्ण सिंह को [[पद्म विभूषण]] से सम्मानित किया है।  
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कर्ण सिंह को अनेक मानद उपाधियों और पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इनमें - बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और सोका विश्वविद्यालय, तोक्यो से प्राप्त डाक्टरेट की मानद उपाधियाँ उल्लेखनीय हैं। सन् [[2005]] में [[भारत सरकार]] ने कर्ण सिंह को [[पद्म विभूषण]] से सम्मानित किया है।  
 
==प्रसिद्धि==
 
==प्रसिद्धि==
 
भारतीय सांस्कृतिक परम्परा में अपनी गहन अन्तर्दृष्टि और पश्चिमी साहित्य और सभ्यता की विस्तृत जानकारी के होने के कारण कर्ण सिंह को भारत और विदेशों में एक विशिष्ट विचारक और नेता के रूप में पहचान हैं। [[संयुक्त राज्य अमरीका]] में भारतीय राजदूत के रूप में उनका कार्यकाल हालांकि कम ही रहा है, परंतु इस दौरान उन्हें दोनों ही देशों में व्यापक और अत्यधिक अनुकूल मीडिया कवरेज मिली।
 
भारतीय सांस्कृतिक परम्परा में अपनी गहन अन्तर्दृष्टि और पश्चिमी साहित्य और सभ्यता की विस्तृत जानकारी के होने के कारण कर्ण सिंह को भारत और विदेशों में एक विशिष्ट विचारक और नेता के रूप में पहचान हैं। [[संयुक्त राज्य अमरीका]] में भारतीय राजदूत के रूप में उनका कार्यकाल हालांकि कम ही रहा है, परंतु इस दौरान उन्हें दोनों ही देशों में व्यापक और अत्यधिक अनुकूल मीडिया कवरेज मिली।
 
 
==लेखक के रूप में==
 
==लेखक के रूप में==
डॉ. कर्ण सिंह ने राजनीति विज्ञान पर अनेक पुस्तकें, दार्शनिक निबन्ध, यात्रा-विवरण और कविताएँ [[अंग्रेज़ी]] में लिखी हैं। उनके महत्त्वपूर्ण संग्रह "वन मैन्स वर्ल्ड" (एक आदमी की दुनिया) और हिन्दूवाद पर लिखे निबंधों की काफ़ी सराहना हुई। उन्होंने अपनी मातृभाषा [[डोगरी भाषा|डोगरी]] में कुछ भक्तिपूर्ण गीतों की रचना भी की है।  
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डॉ. कर्ण सिंह ने राजनीति विज्ञान पर अनेक पुस्तकें, दार्शनिक निबन्ध, यात्रा-विवरण और कविताएँ [[अंग्रेज़ी]] में लिखी हैं। उनके महत्त्वपूर्ण संग्रह "वन मैन्स वर्ल्ड" (एक आदमी की दुनिया) और हिन्दूवाद पर लिखे निबंधों की काफ़ी सराहना हुई। उन्होंने अपनी मातृभाषा [[डोगरी भाषा|डोगरी]] में कुछ भक्तिपूर्ण गीतों की रचना भी की है।
 
 
  
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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==बाहरी कड़ियाँ==
 
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*[http://www.karansingh.com/index.php आधिकारिक वेबसाइट]
 
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==संबंधित लेख==
 
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08:54, 14 जून 2022 के समय का अवतरण

कर्ण सिंह
Karan-singh.jpg
जन्म 9 मार्च, 1931
जन्म भूमि फ़्रांस
अभिभावक पिता- महाराजा हरि सिंह

माता- तारा देवी

पति/पत्नी यशो राज्यलक्ष्मी
संतान पुत्री- ज्योत्सना

पुत्र- विक्रमादित्य व अजातशत्रु

नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राजनेता, लेखक
पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
पद शिक्षा और संस्कृति मंत्री- 30 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980 तक

स्वास्थ्य और परिवार नियोजन मंत्री- 9 नवंबर, 1973 से 24 मार्च, 1977 तक
पर्यटन और नगर विमानन मंत्रालय- 13 मार्च, 1967 से 9 नवंबर, 1973 तक
राज्यपाल, जम्मू और कश्मीर- 30 मार्च, 1965 से 15 मई, 1967 तक

शिक्षा एम.ए. (राजनीति), पी.एच.डी
विद्यालय दिल्ली विश्वविद्यालय, जम्मू और कश्मीर विश्वविद्यालय, दून स्कूल देहरादून
भाषा अंग्रेज़ी, डोगरी
पुरस्कार-उपाधि पद्म विभूषण, 2005
रचनाएँ "वन मैन्स वर्ल्ड"
अन्य जानकारी कर्ण सिंह कई वर्षों तक भारतीय वन्यजीव बोर्ड के अध्यक्ष और अत्यधिक सफल - प्रोजेक्ट टाइगर - के अध्यक्ष रहने के कारण उसके आजीवन संरक्षक हैं।
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
अद्यतन‎

कर्ण सिंह (अंग्रेज़ी: Karan Singh, जन्म- 9 मार्च, 1931) एक भारतीय राजनेता, लेखक और कूटनीतिज्ञ हैं। वर्ष 1949 में प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू के हस्तक्षेप पर उनके पिता (महाराजा हरि सिंह) ने उन्हें राजप्रतिनिधि नियुक्त कर दिया। इसके पश्चात् अगले 18 वर्षों के दौरान वे राजप्रतिनिधि, निर्वाचित सदर-ए-रियासत और जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल के पदों पर आसीन रहे।

जीवन परिचय

कर्ण सिंह का जन्म 9 मार्च, 1931 को फ़्रांस में हुआ। जम्मू और कश्मीर के महाराजा हरि सिंह और महारानी तारा देवी के उत्तराधिकारी (युवराज) के रूप में जन्मे डॉ. कर्ण सिंह ने 18 वर्ष की उम्र में ही राजनीति में प्रवेश कर लिया था।

शिक्षा

कर्ण सिंह ने देहरादून स्थित दून स्कूल से सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा प्रथम श्रेणी के साथ उत्तीर्ण की और इसके बाद जम्मू और कश्मीर विश्वविद्यालय के श्री प्रताप सिंह कॉलेज से स्नातक उपाधि प्राप्त की। वे इसी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी रह चुके हैं। वर्ष 1957 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीतिक शास्त्र में एम.ए. उपाधि हासिल की। उन्होंने श्री अरविन्द की राजनीतिक विचारधारा पर शोध प्रबन्ध लिख कर दिल्ली विश्वविद्यालय से डाक्टरेट उपाधि (पी.एच.डी) का अलंकरण प्राप्त किया।

विवाह

5 मार्च, 1950 में डॉ. कर्ण सिंह ने राजकुमारी यशो राज्यलक्ष्मी से विवाह किया जो नेपाल के अंतिम राणा प्रधानमंत्री 'मोहन शमशेर जंग बहादुर राणा' की पोती थी। इनके एक पुत्री ज्योत्सना और दो पुत्र विक्रमादित्य व अजातशत्रु हैं।

राजनीतिक जीवन

डॉ. कर्ण सिंह को 1967 में प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। इसके तुरन्त बाद कर्ण सिंह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में जम्मू और कश्मीर के उधमपुर संसदीय क्षेत्र से भारी बहुमत से जीतकर लोकसभा के सदस्य बनकर संसद में प्रवेश हुए। इसी क्षेत्र से वे वर्ष 1971, 1977 और 1980 में दोबारा चुने गए।

मंत्री पद

डॉ. कर्ण सिंह को पहले पर्यटन और नगर विमानन मंत्रालय सौंपा गया। वे 6 वर्ष तक इस मंत्रालय में रहे, जहाँ उन्होंने अपनी सूक्ष्मदृष्टि और सक्रियता की अमिट छाप छोड़ी। 1973 में वे स्वास्थ्य और परिवार नियोजन मंत्री बने। 1976 में जब उन्होंने राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की घोषणा की तो परिवार नियोजन का विषय एक राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के रूप में उभरा। 1979 में कर्ण सिंह शिक्षा और संस्कृति मंत्री बने।

समाज सेवक

डॉ. कर्ण सिंह देशी रजवाड़े के अकेले ऐसे पूर्व शासक थे, जिन्होंने स्वेच्छा से प्रिवी पर्स का त्याग किया। उन्होंने अपनी सारी राशि अपने माता-पिता के नाम पर भारत में मानव सेवा के लिए स्थापित 'हरि-तारा धर्मार्थ न्यास' को दे दी। उन्होंने जम्मू के अपने अमर महल (राजभवन) को संग्रहालय एवं पुस्तकालय में परिवर्तित कर दिया। इसमें पहाड़ी लघुचित्रों और आधुनिक भारतीय कला का अमूल्य संग्रह तथा 20 हज़ार से अधिक पुस्तकों का निजी संग्रह है। डॉ. कर्ण सिंह धर्मार्थ न्यास के अन्तर्गत चल रहे सौ से अधिक हिन्दू तीर्थ-स्थलों तथा मंदिरों सहित जम्मू और कश्मीर में अन्य कई न्यासों का काम-काज भी देखते हैं। हाल ही में उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान, संस्कृति और चेतना केंद्र की स्थापना की है। यह केंद्र सृजनात्मक दृष्टिकोण के एक महत्त्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभर रहा है।

विभिन्न पदों पर आसीन

  • कर्ण सिंह कई वर्षों तक जम्मू और कश्मीर विश्वविद्यालय और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कुल अधिपति भी रहे हैं।
  • कर्ण सिंह केंद्रीय संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष, भारतीय लेखक संघ, भारतीय राष्ट्र मण्डल सोसायटी और दिल्ली संगीत सोसायटी के सभापति रहे हैं।
  • कर्ण सिंह जवाहरलाल नेहरू स्मारक निधि के उपाध्यक्ष, टेम्पल ऑफ अंडरस्टेंडिंग (एक प्रसिद्ध अन्तर्राष्ट्रीय अन्तर्विश्वास संगठन) के अध्यक्ष, भारत पर्यावरण और विकास जनायोग के अध्यक्ष, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर और विराट हिन्दू समाज के सभापति हैं।
  • कर्ण सिंह कई वर्षों तक भारतीय वन्यजीव बोर्ड के अध्यक्ष और अत्यधिक सफल - प्रोजेक्ट टाइगर - के अध्यक्ष रहने के कारण उसके आजीवन संरक्षक हैं।

सम्मान और पुरस्कार

कर्ण सिंह को अनेक मानद उपाधियों और पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इनमें - बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और सोका विश्वविद्यालय, तोक्यो से प्राप्त डाक्टरेट की मानद उपाधियाँ उल्लेखनीय हैं। सन् 2005 में भारत सरकार ने कर्ण सिंह को पद्म विभूषण से सम्मानित किया है।

प्रसिद्धि

भारतीय सांस्कृतिक परम्परा में अपनी गहन अन्तर्दृष्टि और पश्चिमी साहित्य और सभ्यता की विस्तृत जानकारी के होने के कारण कर्ण सिंह को भारत और विदेशों में एक विशिष्ट विचारक और नेता के रूप में पहचान हैं। संयुक्त राज्य अमरीका में भारतीय राजदूत के रूप में उनका कार्यकाल हालांकि कम ही रहा है, परंतु इस दौरान उन्हें दोनों ही देशों में व्यापक और अत्यधिक अनुकूल मीडिया कवरेज मिली।

लेखक के रूप में

डॉ. कर्ण सिंह ने राजनीति विज्ञान पर अनेक पुस्तकें, दार्शनिक निबन्ध, यात्रा-विवरण और कविताएँ अंग्रेज़ी में लिखी हैं। उनके महत्त्वपूर्ण संग्रह "वन मैन्स वर्ल्ड" (एक आदमी की दुनिया) और हिन्दूवाद पर लिखे निबंधों की काफ़ी सराहना हुई। उन्होंने अपनी मातृभाषा डोगरी में कुछ भक्तिपूर्ण गीतों की रचना भी की है।


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