"जाके लिए घर आई घिघाय -बिहारी लाल" के अवतरणों में अंतर
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− | तुम | + | जाके लिए घर आई घिघाय, करी मनुहारि उती तुम गाढ़ी |
− | + | आजु लखैं उहिं जात उतै, न रही सुरत्यौ उर यौं रति बाढ़ी | |
− | + | ता छिन तैं तिहिं भाँति अजौं, न हलै न चलै बिधि की लसी काढ़ी | |
− | + | वाहि गँवा छिनु वाही गली तिनु, वैसैहीं चाह (बै) वैसेही ठाढ़ी ।। | |
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07:06, 8 सितम्बर 2011 का अवतरण
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जाके लिए घर आई घिघाय, करी मनुहारि उती तुम गाढ़ी |
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