"रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद -रामधारी सिंह दिनकर" के अवतरणों में अंतर
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आग में उसको गला लोहा बनाती हूँ, | आग में उसको गला लोहा बनाती हूँ, | ||
और उस पर नींव रखती हूँ नये घर की, | और उस पर नींव रखती हूँ नये घर की, | ||
− | इस तरह दीवार | + | इस तरह दीवार फ़ौलादी उठाती हूँ। |
मनु नहीं, मनु-पुत्र है यह सामने, जिसकी | मनु नहीं, मनु-पुत्र है यह सामने, जिसकी |
13:03, 27 मई 2012 के समय का अवतरण
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रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद, |
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