कालसूत्र

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कालसूत्र हिन्दू धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथानुसार एक नरक का नाम है।

  • अपने माता-पिता का, ब्राह्मणों का और वेदों का विरोध करने वाला बाहर से तो लोक निन्दा से और अन्दर से आन्तरिक ताप से जला करता है, उस जलन के कारण उसका खाना-पीना भी हराम हो जाता है और सदा बेचैन रहता है। इस अशान्त स्थिति तथा बाहर-भीतर से जलते रहने की दशा को “कालसूत्र” नरक की यातना कहते हैं।
  • नरक लोक में सूर्य के पुत्र “यम” रहते हैं और मृत प्राणियों को उनके दुष्कर्मों का दण्ड देते हैं। नरकों की संख्या 28 कही गई है, जो इस प्रकार है[1]-
नरक के नाम
क्रम संख्या नाम क्रम संख्या नाम
1. तामिस्र 2. अन्धतामिस्र
3. रौरव 4. महारौरव
5. कुम्भी पाक 6. कालसूत्र
7. असिपत्रवन 8. सूकर मुख
9. अन्ध कूप 10. कृमि भोजन
11. सन्दंश 12. तप्तसूर्मि
13. वज्रकंटक शाल्मली 14. वैतरणी
15. पूयोद 16. प्राण रोध
17. विशसन 18. लालाभक्ष
19. सारमेयादन 20. अवीचि
21. अयःपान 22. क्षारकर्दम
23. रक्षोगणभोजन 24. शूलप्रोत
25. द्वन्दशूक 26. अवटनिरोधन
27. पर्यावर्तन 28. सूची मुख



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण, अध्याय 16, पृ.सं.-342, श्लोक 21 - त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं

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