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नील पर कटि तट जटनि दै मेरी आली,
नील पर कटि तट जटनि दै मेरी आली,  
लटुन सी साँवरी रजनि सरसान दै।


            लटुन सी साँवरी रजनि सरसान दै,
नूपुर उतारन किंकनी खोल डारनि दै,
धारन दै भूषन कपूर पान खान दै।


नूपुर उतारन किंकनी खोल डारनि दै
सरस सिंगार कै बिहारी लालै बसि करौ,
बसि न करि सकै ज्यौं आन प्रिय प्रान दै।


            धारन दै भूषन कपूर पान खान दै,
तौ लगि तू धीर धर एतौ मेरौ कह्यौ करि,
 
चलिहौं कन्हैया पै जुन्हैया नैंकु जानि दै।
सरस सिंगार कै बिहारी लालै बसि करौ
 
            बसि न करि सकै ज्यौं आन प्रिय प्रान दै,
 
तौ लगि तू धीर धर एतौ मेरौ कह्यौ करि
 
            चलिहौं कन्हैया पै जुन्हैया नैंकु जानि दै।।





07:25, 8 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

नील पर कटि तट -बिहारी लाल
बिहारी लाल
बिहारी लाल
कवि बिहारी लाल
जन्म 1595
जन्म स्थान ग्वालियर
मृत्यु 1663
मुख्य रचनाएँ बिहारी सतसई
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
बिहारी लाल की रचनाएँ

नील पर कटि तट जटनि दै मेरी आली,
लटुन सी साँवरी रजनि सरसान दै।

नूपुर उतारन किंकनी खोल डारनि दै,
धारन दै भूषन कपूर पान खान दै।

सरस सिंगार कै बिहारी लालै बसि करौ,
बसि न करि सकै ज्यौं आन प्रिय प्रान दै।

तौ लगि तू धीर धर एतौ मेरौ कह्यौ करि,
चलिहौं कन्हैया पै जुन्हैया नैंकु जानि दै।







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