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*गंगाधर मेहरे का जन्म एक निर्धन जुलाहा [[परिवार]] में हुआ था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय संस्कृति कोश |लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजपाल एंड सन्ज, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन=भारतकोश पुस्तकालय |संपादन= |पृष्ठ संख्या=263|url=|ISBN=}}</ref> | *गंगाधर मेहरे का जन्म एक निर्धन जुलाहा [[परिवार]] में हुआ था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय संस्कृति कोश |लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजपाल एंड सन्ज, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन=भारतकोश पुस्तकालय |संपादन= |पृष्ठ संख्या=263|url=|ISBN=}}</ref> | ||
*इन्होंने कपड़े | *इन्होंने कपड़े बनाते बनाते [[कविता]] करना सीखा। | ||
*इनके अनेक काव्य ग्रंथों में 'प्रणय वल्लरी' और 'तपस्विनी' सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं। | *इनके अनेक काव्य ग्रंथों में 'प्रणय वल्लरी' और 'तपस्विनी' सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं। | ||
*इन्हें '''उड़िया भाषा का कालिदास''' कहा जाता है। | *इन्हें '''उड़िया भाषा का कालिदास''' कहा जाता है। |
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गंगाधर मेहरे (अंग्रेज़ी: Gangadhara Meher, जन्म- 9 अगस्त, 1862; मृत्यु- 4 अप्रैल, 1924) उड़िया भाषा के प्रसिद्ध कवि थे।
- गंगाधर मेहरे का जन्म एक निर्धन जुलाहा परिवार में हुआ था।[1]
- इन्होंने कपड़े बनाते बनाते कविता करना सीखा।
- इनके अनेक काव्य ग्रंथों में 'प्रणय वल्लरी' और 'तपस्विनी' सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं।
- इन्हें उड़िया भाषा का कालिदास कहा जाता है।
- गंगाधर मेहरे का 4 अप्रैल, 1924 ई. को देहांत हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय संस्कृति कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: राजपाल एंड सन्ज, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 263 |