"एक पत्र -रामधारी सिंह दिनकर": अवतरणों में अंतर
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कात्या सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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घेर रहे सन्तरी, बताओ अब कैसे चिल्लाऊँ मैं? | घेर रहे सन्तरी, बताओ अब कैसे चिल्लाऊँ मैं? | ||
फिर-फिर कसता हूँ कड़ियाँ, फिर-फिर होती | फिर-फिर कसता हूँ कड़ियाँ, फिर-फिर होती कशमकश जारी; | ||
फिर-फिर राख डालता हूँ, फिर-फिर हँसती है चिनगारी। | फिर-फिर राख डालता हूँ, फिर-फिर हँसती है चिनगारी। | ||
टूट नहीं सकता ज्वाला से, जलतों का अनुराग सखे! | टूट नहीं सकता ज्वाला से, जलतों का अनुराग सखे! |
11:52, 23 दिसम्बर 2011 का अवतरण
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मैं चरणॊं से लिपट रहा था, सिर से मुझे लगाया क्यों? |
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