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लेकिन घाट बँआनधकर
लेकिन घाट बँआनधकर
पानि को गहरा बनाना
पानि को गहरा बनाना
यह पुरमपरा का नाम है|
यह पुरमपरा का नाम है।


पंरपरा और क्रंनति में
पंरपरा और क्रंनति में

07:10, 21 अगस्त 2011 का अवतरण

परंपरा -रामधारी सिंह दिनकर
रामधारी सिंह दिनकर
रामधारी सिंह दिनकर
कवि रामधारी सिंह दिनकर
जन्म 23 सितंबर, सन 1908
जन्म स्थान सिमरिया, ज़िला मुंगेर (बिहार)
मृत्यु 24 अप्रैल, सन 1974
मृत्यु स्थान चेन्नई, तमिलनाडु
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रामधारी सिंह दिनकर की रचनाएँ

परंपरा को अंधी लाठी से मत पीटो।
उसमे बहुत कुछ है,
जो जीवित है,
जीवन दायक है,
जैसे भी हो,
ध्वसं से बचा रखने लयक है।

पानी का छिछला होकर
समतल मे दोडना,
यह क्रंनति का नाम है।
लेकिन घाट बँआनधकर
पानि को गहरा बनाना
यह पुरमपरा का नाम है।

पंरपरा और क्रंनति में
संघषऋ चलने दो।
आग लगि है, तो
सूखि डालो को जलने दो।

मगर जो डालें
आज भी हरि है ,
उनपर तो तरस खाओ।
मेरि एक बात तुमा मान लो।

लोगो कि असथा के अधार
टुट जाते है,
उखडे हुए पेड़ो के समान
वे अपनि ज़डो से छुट जाते है।

परुमपरा जब लुपत होति हैं
सभयता अकेलेपन के
दर्द मे मरति है।
कलमे लगना जानते हो,
तो जरुर लगाओ,
मगर ऐसी कि फ़लो मे
अपनि मिट्टी का सवाद रहे।

और ये बात याद रहे
परुमपरा चिनि नहि मधु है।
वह न तो हिन्दू है, ना मुसलिम

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