"तुम हमारे हो -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - " सन " to " सन् ") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - " दुख " to " दु:ख ") |
||
पंक्ति 49: | पंक्ति 49: | ||
और कमज़ोरों का बस क्या है । | और कमज़ोरों का बस क्या है । | ||
कहा - निर्दय, कहाँ है तेरी दया, | कहा - निर्दय, कहाँ है तेरी दया, | ||
मुझे | मुझे दु:ख देने में जस क्या है । | ||
रात को सोते य' सपना देखा | रात को सोते य' सपना देखा |
14:03, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
| ||||||||||||||||||
|
नहीं मालूम क्यों यहाँ आया |
संबंधित लेख