पल्लव - पल्लव पर हरियाली फूटी, लहरी डाली-डाली, बोली कोयल, कलि की प्याली मधु भरकर तरु पर उफनाई। झोंके पुरवाई के लगते, बादल के दल नभ पर भगते, कितने मन सो-सोकर जगते, नयनों में भावुकता छाई। लहरें सरसी पर उठ-उठकर गिरती हैं सुन्दर से सुन्दर, हिलते हैं सुख से इन्दीवर, घाटों पर बढ आई काई। घर के जन हुये प्रसन्न-वदन, अतिशय सुख से छलके लोचन, प्रिय की वाणी का अमन्त्रण लेकर जैसे ध्वनि सरसाई।