"अंखियां तो झाईं परी -कबीर" के अवतरणों में अंतर
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− | अंखियां तो | + | अंखियां तो झाई परी, |
+ | पंथ निहारि निहारि। | ||
− | + | जीहड़ियां छाला परया, | |
+ | नाम पुकारि पुकारि। | ||
− | + | बिरह कमन्डल कर लिये, | |
+ | बैरागी दो नैन। | ||
− | + | मांगे दरस मधुकरी, | |
+ | छकै रहै दिन रैन। | ||
− | बिरह | + | सब रंग तांति रबाब तन, |
+ | बिरह बजावै नित। | ||
− | + | और न कोइ सुनि सकै, | |
− | + | कै सांई के चित। | |
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− | और न कोइ सुनि सकै | ||
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− | कै सांई के | ||
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11:02, 8 सितम्बर 2011 का अवतरण
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अंखियां तो झाई परी, |
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