"उखीमठ" के अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) छो (श्रेणी:नया पन्ना (को हटा दिया गया हैं।)) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | '''उखीमठ''' [[उत्तराखंड]] के [[टिहरी गढ़वाल ज़िला|टिहरी गढ़वाल ज़िले]] में स्थित था। यह [[केदारनाथ]] के निकट स्थित एक छोटा-सा कस्बा है, जिसकी समुद्रतल से ऊँचाई 4300 फ़ुट है। मान्यताओं के अनुसार उखीमठ का प्रारम्भिक नाम 'उषामठ' था, जो बाद में बदलकर 'उखीमठ' हो गया। | |
− | उखीमठ [[उत्तराखंड]] के टिहरी गढ़वाल ज़िला में स्थित था। | + | ==किंवदन्ती== |
+ | यहाँ की स्थानीय किंवदन्ती के अनुसार [[उषा]]-[[अनिरुद्ध]] की प्रसिद्ध पौराणिक प्रणयकथा की घटना स्थली यही है। एक विशाल मंदिर में अनिरुद्ध और उषा की प्रतिमाएँ प्रतिष्ठापित हैं। इनके साथ ही [[मांधाता]] की भी मूर्ति है। कहा जाता है कि केशव मंदिर में जो समुख [[शिवलिंग]] है, वह कत्यूरी शासन के समय का है। मंदिर का वर्तमान भवन अधिक प्राचीन नहीं है। कहा जाता है कि उखीमठ स्थान का मूल नाम 'उषा' या 'उषा मठ' था, जो बिगड़कर उखीमठ हो गया। | ||
+ | ====स्थापत्य कला==== | ||
+ | उषा [[बाणासुर]] की कन्या थी। उषा-अनिरुद्ध की सुंदर कथा का [[श्रीमद्भागवत]]<ref>[[श्रीमद्भागवत]] 10,62</ref> में सविस्तार वर्णन है, जिसमें बाणासुर की राजधानी शोणितपुर में कही गई है। शोणितपुर का अभिज्ञान [[गोहाटी]] से किया गया है। उखीमठ से उषा की कहानी का संबंध तथ्य पर आधारित नहीं जान पड़ता। उखीमठ में पहले लकुलीश शैवों की प्रधानता थी। मंदिर की [[वास्तुकला]] पर [[दक्षिणी भारत|दक्षिणी भारतीय]] स्थापत्य का प्रभाव है, जो इस ओर [[शंकराचार्य]] तथा उनके अनुवर्ती दक्षिणात्यों के साथ आया था। | ||
− | {{ | + | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
− | |||
− | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
− | |||
− | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{उत्तराखण्ड के ऐतिहासिक स्थान}} | {{उत्तराखण्ड के ऐतिहासिक स्थान}} | ||
+ | {{पौराणिक स्थान}} | ||
[[Category:उत्तराखंड]] | [[Category:उत्तराखंड]] | ||
[[Category:उत्तराखंड के ऐतिहासिक स्थान]] | [[Category:उत्तराखंड के ऐतिहासिक स्थान]] | ||
[[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]] | [[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
+ | __NOTOC__ |
09:15, 17 दिसम्बर 2011 का अवतरण
उखीमठ उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल ज़िले में स्थित था। यह केदारनाथ के निकट स्थित एक छोटा-सा कस्बा है, जिसकी समुद्रतल से ऊँचाई 4300 फ़ुट है। मान्यताओं के अनुसार उखीमठ का प्रारम्भिक नाम 'उषामठ' था, जो बाद में बदलकर 'उखीमठ' हो गया।
किंवदन्ती
यहाँ की स्थानीय किंवदन्ती के अनुसार उषा-अनिरुद्ध की प्रसिद्ध पौराणिक प्रणयकथा की घटना स्थली यही है। एक विशाल मंदिर में अनिरुद्ध और उषा की प्रतिमाएँ प्रतिष्ठापित हैं। इनके साथ ही मांधाता की भी मूर्ति है। कहा जाता है कि केशव मंदिर में जो समुख शिवलिंग है, वह कत्यूरी शासन के समय का है। मंदिर का वर्तमान भवन अधिक प्राचीन नहीं है। कहा जाता है कि उखीमठ स्थान का मूल नाम 'उषा' या 'उषा मठ' था, जो बिगड़कर उखीमठ हो गया।
स्थापत्य कला
उषा बाणासुर की कन्या थी। उषा-अनिरुद्ध की सुंदर कथा का श्रीमद्भागवत[1] में सविस्तार वर्णन है, जिसमें बाणासुर की राजधानी शोणितपुर में कही गई है। शोणितपुर का अभिज्ञान गोहाटी से किया गया है। उखीमठ से उषा की कहानी का संबंध तथ्य पर आधारित नहीं जान पड़ता। उखीमठ में पहले लकुलीश शैवों की प्रधानता थी। मंदिर की वास्तुकला पर दक्षिणी भारतीय स्थापत्य का प्रभाव है, जो इस ओर शंकराचार्य तथा उनके अनुवर्ती दक्षिणात्यों के साथ आया था।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ श्रीमद्भागवत 10,62
संबंधित लेख