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'''कोल्लाग''' प्राचीन समय में [[वैशाली]] का एक उपनगर था। [[जैन]] [[तीर्थंकर]] [[महावीर|महावीर स्वामी]] के ज्ञातिजनों का यहाँ निवास स्थान था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=239|url=}}</ref>
 
'''कोल्लाग''' प्राचीन समय में [[वैशाली]] का एक उपनगर था। [[जैन]] [[तीर्थंकर]] [[महावीर|महावीर स्वामी]] के ज्ञातिजनों का यहाँ निवास स्थान था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=239|url=}}</ref>
  
*महावीर स्वामी के [[पिता]] सिद्धार्थ 'ज्ञात्रिक' गोत्र से संबधित थे तथा उनके आस्थान कुंडग्राम तथा कोल्लाग में थे। ये दोनों वैशाली के उपनगर थे।
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*महावीर स्वामी के [[पिता]] सिद्धार्थ 'ज्ञात्रिक' गोत्र से संबंधित थे तथा उनके आस्थान कुंडग्राम तथा कोल्लाग में थे। ये दोनों वैशाली के उपनगर थे।
 
*कुंडग्राम महावीर का जन्म स्थान था। [[जैन]] सूत्र ग्रंथ 'कल्पसूत्र'<ref>कल्पसूत्र, खंड 114-116</ref> में कोल्लाग को महावीर जी का जन्म स्थान बताया गया है।
 
*कुंडग्राम महावीर का जन्म स्थान था। [[जैन]] सूत्र ग्रंथ 'कल्पसूत्र'<ref>कल्पसूत्र, खंड 114-116</ref> में कोल्लाग को महावीर जी का जन्म स्थान बताया गया है।
 
*कोल्लाग में स्थित 'द्विपलाश' नामक [[चैत्य गृह]] का भी उल्लेख कल्पसूत्र में है।
 
*कोल्लाग में स्थित 'द्विपलाश' नामक [[चैत्य गृह]] का भी उल्लेख कल्पसूत्र में है।

08:25, 13 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण

कोल्लाग प्राचीन समय में वैशाली का एक उपनगर था। जैन तीर्थंकर महावीर स्वामी के ज्ञातिजनों का यहाँ निवास स्थान था।[1]

  • महावीर स्वामी के पिता सिद्धार्थ 'ज्ञात्रिक' गोत्र से संबंधित थे तथा उनके आस्थान कुंडग्राम तथा कोल्लाग में थे। ये दोनों वैशाली के उपनगर थे।
  • कुंडग्राम महावीर का जन्म स्थान था। जैन सूत्र ग्रंथ 'कल्पसूत्र'[2] में कोल्लाग को महावीर जी का जन्म स्थान बताया गया है।
  • कोल्लाग में स्थित 'द्विपलाश' नामक चैत्य गृह का भी उल्लेख कल्पसूत्र में है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 239 |
  2. कल्पसूत्र, खंड 114-116

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