"तऊ न मेरे अघ अवगुन गनिहैं -तुलसीदास" के अवतरणों में अंतर
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देखि खलल अधिकार प्रभूसों, मेरी भूरि भलाई भनिहैं॥2॥ | देखि खलल अधिकार प्रभूसों, मेरी भूरि भलाई भनिहैं॥2॥ | ||
हँसि करिहैं परतीत भक्तकी भक्त सिरोमनि मनिहैं। | हँसि करिहैं परतीत भक्तकी भक्त सिरोमनि मनिहैं। | ||
− | ज्यों त्यों तुलसीदास कोसलपति, अपनायहि पर | + | ज्यों त्यों तुलसीदास कोसलपति, अपनायहि पर बनिहैं॥3॥ |
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10:10, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
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तऊ न मेरे अघ अवगुन गनिहैं। |
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