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अर्थात् "जिस प्रकार नल या वेणु दिखाई देता है, उसी प्रकार हरित वर्ष का यह समुद्र है।"
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अर्थात् "जिस प्रकार नल या वेणु दिखाई देता है, उसी प्रकार [[हरा रंग|हरित वर्ण]] का यह समुद्र है।"
 
*नलमाली समुद्र में वैदूर्य उत्पन्न होता था।
 
*नलमाली समुद्र में वैदूर्य उत्पन्न होता था।
*यह समुद्र भगुकच्छ या भडौंच से जलयान पर देशांतरों से व्यापार करने के लिए निकले हुए वणिकों को मार्ग में मिला था।
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*यह समुद्र [[भरुकच्छ]] या भडौंच से जलयान पर देशांतरों से व्यापार करने के लिए निकले हुए वणिकों को मार्ग में मिला था।
 
*अन्य समुद्रों के नाम जो वणिकों को मिले थे, वे हैं-
 
*अन्य समुद्रों के नाम जो वणिकों को मिले थे, वे हैं-
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नलमाली शूर्पारक जातक में वर्णित एक समुद्र का नाम है-

'यथानलो व वेणुव समुद्दोपति दिस्सति'

अर्थात् "जिस प्रकार नल या वेणु दिखाई देता है, उसी प्रकार हरित वर्ण का यह समुद्र है।"

  • नलमाली समुद्र में वैदूर्य उत्पन्न होता था।
  • यह समुद्र भरुकच्छ या भडौंच से जलयान पर देशांतरों से व्यापार करने के लिए निकले हुए वणिकों को मार्ग में मिला था।
  • अन्य समुद्रों के नाम जो वणिकों को मिले थे, वे हैं-
  1. क्षुरमाली
  2. अग्निमाली
  3. कुशमाल
  4. दधिमाली
  5. बड़वामुख


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 481 |


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