"भाई रे रांम कहाँ हैं मोहि बतावो -रैदास" के अवतरणों में अंतर

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भाई रे रांम कहाँ हैं मोहि बतावो।
 
भाई रे रांम कहाँ हैं मोहि बतावो।
 
सति रांम ताकै निकटि न आवो।। टेक।।
 
सति रांम ताकै निकटि न आवो।। टेक।।
राम कहत जगत भुलाना, सो यहु रांम न होई।
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राम कहत जगत् भुलाना, सो यहु रांम न होई।
 
करंम अकरंम करुणांमै केसौ, करता नांउं सु कोई।।1।।
 
करंम अकरंम करुणांमै केसौ, करता नांउं सु कोई।।1।।
 
जा रामहि सब जग जानैं, भ्रमि भूले रे भाई।
 
जा रामहि सब जग जानैं, भ्रमि भूले रे भाई।

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भाई रे रांम कहाँ हैं मोहि बतावो -रैदास
रैदास
कवि रैदास
जन्म 1398 ई. (लगभग)
जन्म स्थान काशी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1518 ई.
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रैदास की रचनाएँ

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भाई रे रांम कहाँ हैं मोहि बतावो।
सति रांम ताकै निकटि न आवो।। टेक।।
राम कहत जगत् भुलाना, सो यहु रांम न होई।
करंम अकरंम करुणांमै केसौ, करता नांउं सु कोई।।1।।
जा रामहि सब जग जानैं, भ्रमि भूले रे भाई।
आप आप थैं कोई न जांणै, कहै कौंन सू जाई।।2।।
सति तन लोभ परसि जीय तन मन, गुण परस नहीं जाई।
अखिल नांउं जाकौ ठौर न कतहूँ, क्यूं न कहै समझाई।।3।।
भयौ रैदास उदास ताही थैं, करता को है भाई।
केवल करता एक सही करि, सति रांम तिहि ठांई।।4।।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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