"मधुवटी" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
(''''मधुवटी''' महाभारत वनपर्व के उल्लेखानुसार कुरुक्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''मधुवटी''' [[महाभारत वनपर्व]] के उल्लेखानुसार [[कुरुक्षेत्र]] की सीमा में स्थित एक प्राचीन तीर्थ का नाम है।<ref>महाभारत वनपर्व 83.94</ref>
+
'''मधुवटी''' [[महाभारत वनपर्व]] के उल्लेखानुसार [[कुरुक्षेत्र]] की सीमा में स्थित एक प्राचीन [[तीर्थ]] का नाम है।<ref>महाभारत वनपर्व 83.94</ref>
 +
 
 +
*यहाँ के देवतीर्थ में [[स्नान]], संध्या, [[तर्पण (श्राद्ध)|तर्पण]] और [[श्राद्ध]] करने से मनुष्य को एक हज़ार गोदान का फल प्राप्त होता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=पौराणिक कोश|लेखक=राणा प्रसाद शर्मा|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=396|url=}}</ref>
  
*यहाँ के देवतीर्थ में [[स्नान]], संध्या, [[तर्पण (श्राद्ध)|तर्पण]] और [[श्राद्ध]] करने से मनुष्य को एक हज़ार गोदान का फल प्राप्त होता है।{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=पौराणिक कोश|लेखक=राणा प्रसाद शर्मा|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=396|url=}}
 
  
  

10:29, 29 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

मधुवटी महाभारत वनपर्व के उल्लेखानुसार कुरुक्षेत्र की सीमा में स्थित एक प्राचीन तीर्थ का नाम है।[1]

  • यहाँ के देवतीर्थ में स्नान, संध्या, तर्पण और श्राद्ध करने से मनुष्य को एक हज़ार गोदान का फल प्राप्त होता है।[2]



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत वनपर्व 83.94
  2. पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 396 |

संबंधित लेख