"मरम कैसैं पाइबौ रे -रैदास" के अवतरणों में अंतर
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पंडित कोई न कहै समझाइ, जाथैं मरौ आवागवन बिलाइ।। टेक।। | पंडित कोई न कहै समझाइ, जाथैं मरौ आवागवन बिलाइ।। टेक।। | ||
बहु बिधि धरम निरूपिये, करता दीसै सब लोई। | बहु बिधि धरम निरूपिये, करता दीसै सब लोई। | ||
− | जाहि धरम भ्रम छूटिये, ताहि न चीन्हैं | + | जाहि धरम भ्रम छूटिये, ताहि न चीन्हैं कोई।।1।। |
अक्रम क्रम बिचारिये, सुण संक्या बेद पुरांन। | अक्रम क्रम बिचारिये, सुण संक्या बेद पुरांन। | ||
− | बाकै हृदै भै भ्रम, हरि बिन कौंन हरै | + | बाकै हृदै भै भ्रम, हरि बिन कौंन हरै अभिमांन।।2।। |
सतजुग सत त्रेता तप, द्वापरि पूजा आचार। | सतजुग सत त्रेता तप, द्वापरि पूजा आचार। | ||
− | तीन्यूं जुग तीन्यूं दिढी, कलि केवल नांव | + | तीन्यूं जुग तीन्यूं दिढी, कलि केवल नांव अधार।।3।। |
बाहरि अंग पखालिये, घट भीतरि बिबधि बिकार। | बाहरि अंग पखालिये, घट भीतरि बिबधि बिकार। | ||
− | सुचि कवन परिहोइये, कुंजर गति | + | सुचि कवन परिहोइये, कुंजर गति ब्यौहार।।4।। |
रवि प्रकास रजनी जथा, गत दीसै संसार पारस मनि तांबौ छिवै। | रवि प्रकास रजनी जथा, गत दीसै संसार पारस मनि तांबौ छिवै। | ||
− | कनक होत नहीं बार, धन जोबन प्रभु नां | + | कनक होत नहीं बार, धन जोबन प्रभु नां मिलै।।5।। |
ना मिलै कुल करनी आचार। | ना मिलै कुल करनी आचार। | ||
− | एकै अनेक बिगाइया, ताकौं जाणैं सब | + | एकै अनेक बिगाइया, ताकौं जाणैं सब संसार।।6।। |
अनेक जतन करि टारिये, टारी टरै न भ्रम पास। | अनेक जतन करि टारिये, टारी टरै न भ्रम पास। | ||
− | प्रेम भगति नहीं उपजै, ताथैं रैदास | + | प्रेम भगति नहीं उपजै, ताथैं रैदास उदास।।7।। |
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11:32, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
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मरम कैसैं पाइबौ रे। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |