"मेरो मन हरिजू! हठ न तजै -तुलसीदास" के अवतरणों में अंतर
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मेरो मन हरिजू! हठ न तजै। | मेरो मन हरिजू! हठ न तजै। | ||
− | निसिदिन नाथ देउँ सिख बहु बिधि, करत सुभाउ | + | निसिदिन नाथ देउँ सिख बहु बिधि, करत सुभाउ निजै॥1॥ |
ज्यों जुबती अनुभवति प्रसव अति दारुन दुख उपजै। | ज्यों जुबती अनुभवति प्रसव अति दारुन दुख उपजै। | ||
ह्वै अनुकूल बिसारि सूल सठ, पुनि खल पतिहिं भजै॥२॥ | ह्वै अनुकूल बिसारि सूल सठ, पुनि खल पतिहिं भजै॥२॥ |
09:49, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण
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