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राम बिन संसै गाँठि न छूटै।
 
राम बिन संसै गाँठि न छूटै।
 
कांम क्रोध मोह मद माया, इन पंचन मिलि लूटै।। टेक।।
 
कांम क्रोध मोह मद माया, इन पंचन मिलि लूटै।। टेक।।
हम बड़ कवि कुलीन हम पंडित, हम जोगी सन्न्यासी।
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हम बड़ कवि कुलीन हम पंडित, हम जोगी संन्यासी।
 
ग्यांनी गुनीं सूर हम दाता, यहु मति कदे न नासी।।1।।
 
ग्यांनी गुनीं सूर हम दाता, यहु मति कदे न नासी।।1।।
 
पढ़ें गुनें कछू संमझि न परई, जौ लौ अनभै भाव न दरसै।
 
पढ़ें गुनें कछू संमझि न परई, जौ लौ अनभै भाव न दरसै।

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राम बिन संसै गाँठि न छूटै -रैदास
रैदास
कवि रैदास
जन्म 1398 ई. (लगभग)
जन्म स्थान काशी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1518 ई.
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रैदास की रचनाएँ

राम बिन संसै गाँठि न छूटै।
कांम क्रोध मोह मद माया, इन पंचन मिलि लूटै।। टेक।।
हम बड़ कवि कुलीन हम पंडित, हम जोगी संन्यासी।
ग्यांनी गुनीं सूर हम दाता, यहु मति कदे न नासी।।1।।
पढ़ें गुनें कछू संमझि न परई, जौ लौ अनभै भाव न दरसै।
लोहा हरन होइ धँू कैसें, जो पारस नहीं परसै।।2।।
कहै रैदास और असमझसि, भूलि परै भ्रम भोरे।
एक अधार नांम नरहरि कौ, जीवनि प्रांन धन मोरै।।3।।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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