"राम बिन संसै गाँठि न छूटै -रैदास" के अवतरणों में अंतर
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राम बिन संसै गाँठि न छूटै। | राम बिन संसै गाँठि न छूटै। | ||
कांम क्रोध मोह मद माया, इन पंचन मिलि लूटै।। टेक।। | कांम क्रोध मोह मद माया, इन पंचन मिलि लूटै।। टेक।। | ||
− | हम बड़ कवि कुलीन हम पंडित, हम जोगी | + | हम बड़ कवि कुलीन हम पंडित, हम जोगी सन्न्यासी। |
ग्यांनी गुनीं सूर हम दाता, यहु मति कदे न नासी।।1।। | ग्यांनी गुनीं सूर हम दाता, यहु मति कदे न नासी।।1।। | ||
पढ़ें गुनें कछू संमझि न परई, जौ लौ अनभै भाव न दरसै। | पढ़ें गुनें कछू संमझि न परई, जौ लौ अनभै भाव न दरसै। |
13:54, 2 मई 2015 का अवतरण
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राम बिन संसै गाँठि न छूटै। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |