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सुन मन मूढ सिखावन मेरो।
 
सुन मन मूढ सिखावन मेरो।
 
हरिपद विमुख लह्यो न काहू सुख,सठ समुझ सबेरो॥
 
हरिपद विमुख लह्यो न काहू सुख,सठ समुझ सबेरो॥
बिछुरे ससि रबि मन नैननि तें,पावत दुख बहुतेरो।
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बिछुरे ससि रबि मन नैननि तें,पावत दु:ख बहुतेरो।
 
भ्रमर स्यमित निसि दिवस गगन मँह,तहँ रिपु राहु बडेरो॥
 
भ्रमर स्यमित निसि दिवस गगन मँह,तहँ रिपु राहु बडेरो॥
 
जद्यपि अति पुनीत सुरसरिता,तिहुँ पुर सुजस घनेरो।
 
जद्यपि अति पुनीत सुरसरिता,तिहुँ पुर सुजस घनेरो।

14:04, 2 जून 2017 के समय का अवतरण

सुन मन मूढ -तुलसीदास
तुलसीदास
कवि तुलसीदास
जन्म 1532
जन्म स्थान राजापुर, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1623 सन
मुख्य रचनाएँ रामचरितमानस, दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
तुलसीदास की रचनाएँ

सुन मन मूढ सिखावन मेरो।
हरिपद विमुख लह्यो न काहू सुख,सठ समुझ सबेरो॥
बिछुरे ससि रबि मन नैननि तें,पावत दु:ख बहुतेरो।
भ्रमर स्यमित निसि दिवस गगन मँह,तहँ रिपु राहु बडेरो॥
जद्यपि अति पुनीत सुरसरिता,तिहुँ पुर सुजस घनेरो।
तजे चरन अजहूँ न मिट नित,बहिबो ताहू केरो॥
छूटै न बिपति भजे बिन रघुपति ,स्त्रुति सन्देहु निबेरो।
तुलसीदास सब आस छाँडि करि,होहु राम कर चेरो॥

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