कबीर निर्णय मंदिर

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कबीर निर्णय मंदिर बुरहानपुर, मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थलों में से एक है। इस मंदिर की स्थापन पूरणदास साहब द्वारा की गई थी। यह मंदिर पूरे विश्व में कबीर के पारख सिद्धांतो को मानने वालों का सबसे बड़ा केंद्र है।

  • ऐसा कहा जाता है कि पूरणदास साहब का ताल्लुक महाराष्ट्र के एक जमींदार परिवार से था। वे 11 वर्ष की अवस्था में वैरागी हो गए थे और सद्गुरु की खोज में निकल पड़े थे।
  • घूमते-घूमते वे रीवा पहुंचे, जहां उनकी भेंट सुखलाल साहेब से हुई। उनसे कबीर साहित्य की शिक्षा-दिक्षा लेकर वे कबीरपंथ का प्रचार करने लगे।
  • प्रचार करते-करते वे ताप्ती नदी के किनारे पहुंचे और साधना करने लगे। साधना के दौरान उन्होंने 'वैराग्य शतक' और 'निर्णयसार' की रचना की। उन्होंने कबीर के बीजक की टीका भी लिखी, जिसे बीजक की पहली टीका कहा जाता है। इस टीका का नाम 'त्रिज्या' रखा गया।
  • टीका पूर्ण करने के तीन दिन बाद उन्होंने अपनी देह त्याग दी। तभी से हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन ताप्ती के तट पर कबीर निर्णय मंदिर के पास कबीर पंथियों का मेला लगता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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