"रामलला नहछू -तुलसीदास": अवतरणों में अंतर
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मोतिन्ह झालरि लागि चहूँ दिसि झूलन हो।। | मोतिन्ह झालरि लागि चहूँ दिसि झूलन हो।। | ||
गंगाजल कर कलस तौ तुरित मँगाइय हो। | गंगाजल कर कलस तौ तुरित मँगाइय हो। | ||
जुवतिन्ह मंगल गाइ राम अन्हवाइय हो | जुवतिन्ह मंगल गाइ राम अन्हवाइय हो ।।3।। | ||
गजमुकुता हीरामनि चौक पुराइय हो। | गजमुकुता हीरामनि चौक पुराइय हो। | ||
देइ सुअरघ राम कहँ लेइ बैठाइय हो।। | देइ सुअरघ राम कहँ लेइ बैठाइय हो।। | ||
कनकखंभ चहुँ ओर मध्य सिंहासन हो। | कनकखंभ चहुँ ओर मध्य सिंहासन हो। | ||
मानिकदीप बराय बैठि तेहि आसन हो | मानिकदीप बराय बैठि तेहि आसन हो ।।4।। | ||
बनि बनि आवति नारि जानि गृह मायन हो। | बनि बनि आवति नारि जानि गृह मायन हो। | ||
बिहँसत आउ लोहारिनि हाथ बरायन हो।। | बिहँसत आउ लोहारिनि हाथ बरायन हो।। | ||
अहिरिनि हाथ दहेड़ि सगुन लेइ आवइ हो। | अहिरिनि हाथ दहेड़ि सगुन लेइ आवइ हो। | ||
उनरत जोबनु देखि नृपति मन भावइ हो | उनरत जोबनु देखि नृपति मन भावइ हो ।।5।। | ||
रूपसलोनि तँबोलिनि बीरा हाथहि हो। | रूपसलोनि तँबोलिनि बीरा हाथहि हो। | ||
जाकी ओर बिलोकहि मन तेहि साथहि हो।। | जाकी ओर बिलोकहि मन तेहि साथहि हो।। | ||
दरजिनि गोरे गात लिहे कर जोरा हो। | दरजिनि गोरे गात लिहे कर जोरा हो। | ||
केसरि परम लगाइ सुगंधन बोरा हो | केसरि परम लगाइ सुगंधन बोरा हो ।।6।। | ||
मोचिनि बदन-सकोचिनि हीरा माँगन हो। | मोचिनि बदन-सकोचिनि हीरा माँगन हो। | ||
पनहि लिहे कर सोभित सुंदर आँगन हो।। | पनहि लिहे कर सोभित सुंदर आँगन हो।। | ||
बतिया कै सुधरि मलिनिया सुंदर गातहि हो। | बतिया कै सुधरि मलिनिया सुंदर गातहि हो। | ||
कनक रतनमनि मौरा लिहे मुसुकातहि | कनक रतनमनि मौरा लिहे मुसुकातहि हो।।7।। | ||
कटि कै छीन बरिनिआँ छाता पानिहि हो। | कटि कै छीन बरिनिआँ छाता पानिहि हो। | ||
चंद्रबदनि मृगलोचनि सब रसखानिहि हो।। | चंद्रबदनि मृगलोचनि सब रसखानिहि हो।। | ||
नैन विसाल नउनियाँ भौं चमकावइ हो। | नैन विसाल नउनियाँ भौं चमकावइ हो। | ||
देइ गारी रनिवासहि प्रमुदित गावइ हो | देइ गारी रनिवासहि प्रमुदित गावइ हो ।।8।। | ||
कौसल्या की जेठि दीन्ह अनुसासन हो। | कौसल्या की जेठि दीन्ह अनुसासन हो। | ||
``नहछू जाइ करावहु बैठि सिंहासन हो।। | ``नहछू जाइ करावहु बैठि सिंहासन हो।। | ||
गोद लिहे कौसल्या बैठी रामहि बर हो। | गोद लिहे कौसल्या बैठी रामहि बर हो। | ||
सोभित दूलह राम सीस पर आँचर हो | सोभित दूलह राम सीस पर आँचर हो ।।9।। | ||
नाउनि अति गुनखानि तौ बेगि बोलाई हो। | नाउनि अति गुनखानि तौ बेगि बोलाई हो। | ||
करि सिँगार अति लोन तो बिहसति आई हो।। | करि सिँगार अति लोन तो बिहसति आई हो।। | ||
कनक-चुनिन सों लसित नहरनी लिये कर हो। | कनक-चुनिन सों लसित नहरनी लिये कर हो। | ||
आनँद हिय न समाइ देखि रामहि बर हो | आनँद हिय न समाइ देखि रामहि बर हो ।।10।। | ||
काने कनक तरीवन, बेसरि सोहइ हो। | काने कनक तरीवन, बेसरि सोहइ हो। | ||
पंक्ति 94: | पंक्ति 94: | ||
चलहू नयन भरि देखिय सोभा धाम क हो।। | चलहू नयन भरि देखिय सोभा धाम क हो।। | ||
अति बड़भाग नउनियाँ छुऐ नख हाथ सों हों | अति बड़भाग नउनियाँ छुऐ नख हाथ सों हों | ||
नैनन्ह करति गुमान तौ श्रीरघुनाथ सों हो | नैनन्ह करति गुमान तौ श्रीरघुनाथ सों हो ।।13।। | ||
जो पगु नाउनि धोवइ राम धोवावइँ हो। | जो पगु नाउनि धोवइ राम धोवावइँ हो। | ||
सो पगधूरि सिद्ध मुनि दरसन पावइ हो।। | सो पगधूरि सिद्ध मुनि दरसन पावइ हो।। | ||
अतिसय पुहुप क माल राम-उर सोहइ हो।। | अतिसय पुहुप क माल राम-उर सोहइ हो।। | ||
तिरछी चितिवनि आनँद मुनिमुख जोहइ हो | तिरछी चितिवनि आनँद मुनिमुख जोहइ हो ।।14।। | ||
नख काटत मुसुकाहिं बरनि नहिं जातहि हो। | नख काटत मुसुकाहिं बरनि नहिं जातहि हो। | ||
पदुम-पराग-मनिमानहुँ कोमल गातहि हो।। | पदुम-पराग-मनिमानहुँ कोमल गातहि हो।। | ||
जावक रचि क अँगुरियन्ह मृदुल सुठारी हो। | जावक रचि क अँगुरियन्ह मृदुल सुठारी हो। | ||
प्रभू कर चरन पछालि तौ अनि सुकुमारी हो | प्रभू कर चरन पछालि तौ अनि सुकुमारी हो ।।15।। | ||
भइ निवछावरि बहु बिधि जो जस लायक़ हो । | भइ निवछावरि बहु बिधि जो जस लायक़ हो । | ||
तुलसिदास बलि जाउँ देखि रघुनायक हो।। | तुलसिदास बलि जाउँ देखि रघुनायक हो।। | ||
राजन दीन्हे हाथी, रानिन्ह हार हो। | राजन दीन्हे हाथी, रानिन्ह हार हो। | ||
भरि गे रतनपदारथ सूप हज़ार हो | भरि गे रतनपदारथ सूप हज़ार हो ।।16।। | ||
भरि गाड़ी निवछावरि नाऊ लेइ आवइ हो। | भरि गाड़ी निवछावरि नाऊ लेइ आवइ हो। | ||
परिजन करहिं निहाल असीसत आवइ हो।। | परिजन करहिं निहाल असीसत आवइ हो।। | ||
तापर करहिं सुमौज बहुत | तापर करहिं सुमौज बहुत दु:ख खोवहिँ हो। | ||
होइ सुखी सब लोग अधिक सुख सोवहिं हो | होइ सुखी सब लोग अधिक सुख सोवहिं हो ।।17।। | ||
गावहिं सब रनिवास देहिं प्रभु गारी हो। | गावहिं सब रनिवास देहिं प्रभु गारी हो। | ||
रामलला सकुचाहिं देखि महतारी हो।। | रामलला सकुचाहिं देखि महतारी हो।। | ||
हिलिमिलि करत सवाँग सभा रसकेलि हो। | हिलिमिलि करत सवाँग सभा रसकेलि हो। | ||
नाउनि मन हरषाइ सुगंधन मेलि हो | नाउनि मन हरषाइ सुगंधन मेलि हो ।।18।। | ||
दूलह कै महतारि देखि मन हरषइ हो। | दूलह कै महतारि देखि मन हरषइ हो। | ||
कोटिन्ह दीन्हेउ दान मेघ जनु बरखइ हो।। | कोटिन्ह दीन्हेउ दान मेघ जनु बरखइ हो।। | ||
रामलला कर नहछू अति सुख गाइय हो। | रामलला कर नहछू अति सुख गाइय हो। | ||
जेहि गाये सिधि होइ परम निधि पाइय हो | जेहि गाये सिधि होइ परम निधि पाइय हो ।।19।। | ||
दसरथ राउ सिंहसान बैठि बिराजहिं हो। | दसरथ राउ सिंहसान बैठि बिराजहिं हो। | ||
तुलसिदास बलि जाहि देखि रघुराजहि हो।। | तुलसिदास बलि जाहि देखि रघुराजहि हो।। | ||
जे यह नहछू गावैं गाइ सुनावइँ हो। | जे यह नहछू गावैं गाइ सुनावइँ हो। | ||
ऋद्धि सिद्धि कल्यान मुक्ति नर पावइँ हो | ऋद्धि सिद्धि कल्यान मुक्ति नर पावइँ हो ।।20।। | ||
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14:02, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
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आदि सारदा गनपति गौरि मनाइय हो। |
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