"निर्मोचन": अवतरणों में अंतर
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*यहाँ के राजा भीम नरक को पराजित कर [[श्रीकृष्ण]] ने सोलह सहस्र कुमारियों को उसके बंदीगृह से छुटकारा दिलवाया था। | *यहाँ के राजा भीम नरक को पराजित कर [[श्रीकृष्ण]] ने सोलह सहस्र कुमारियों को उसके बंदीगृह से छुटकारा दिलवाया था। | ||
*[[ | *[[मुर दैत्य]] का वध भी श्रीकृष्ण ने निर्मोचन स्थान पर ही किया था- | ||
<blockquote>'निर्मोचन पट्ससहस्राणि हत्वां संच्छिद्य पाशान् सहसा क्षुरांतान् पुरंहत्वा विनिहत्यौघरक्षो निर्मोचनं चापि जगाम वीर:'<ref>[[महाभारत]], [[उद्योगपर्व महाभारत|उद्योगपर्व]] 48, 83.</ref></blockquote> | <blockquote>'निर्मोचन पट्ससहस्राणि हत्वां संच्छिद्य पाशान् सहसा क्षुरांतान् पुरंहत्वा विनिहत्यौघरक्षो निर्मोचनं चापि जगाम वीर:'<ref>[[महाभारत]], [[उद्योगपर्व महाभारत|उद्योगपर्व]] 48, 83.</ref></blockquote> | ||
*निर्मोचन नगर शायद प्राग्ज्योतिष <ref>(=[[गोहाटी]], [[असम]])</ref> का नाम था, क्योंकि इसी प्रसंग<ref>(महाभारत, उद्योगपर्व 48, 807)</ref> में प्राग्ज्योतिष के दुर्ग का भी वर्णन है- | *निर्मोचन नगर शायद [[प्राग्ज्योतिषपुर|प्राग्ज्योतिष]]<ref>(=[[गोहाटी]], [[असम]])</ref> का नाम था, क्योंकि इसी प्रसंग<ref>(महाभारत, उद्योगपर्व 48, 807)</ref> में प्राग्ज्योतिष के दुर्ग का भी वर्णन है- | ||
<blockquote>'प्राग्ज्योतिषं नाम दभूव दुर्गम्'।</blockquote> | <blockquote>'प्राग्ज्योतिषं नाम दभूव दुर्गम्'।</blockquote> | ||
12:24, 30 जून 2012 के समय का अवतरण
निर्मोचन नामक नगर का वर्णन महाभारत में कामरूप देश की राजधानी के रूप में हुआ है।
- यहाँ के राजा भीम नरक को पराजित कर श्रीकृष्ण ने सोलह सहस्र कुमारियों को उसके बंदीगृह से छुटकारा दिलवाया था।
- मुर दैत्य का वध भी श्रीकृष्ण ने निर्मोचन स्थान पर ही किया था-
'निर्मोचन पट्ससहस्राणि हत्वां संच्छिद्य पाशान् सहसा क्षुरांतान् पुरंहत्वा विनिहत्यौघरक्षो निर्मोचनं चापि जगाम वीर:'[1]
- निर्मोचन नगर शायद प्राग्ज्योतिष[2] का नाम था, क्योंकि इसी प्रसंग[3] में प्राग्ज्योतिष के दुर्ग का भी वर्णन है-
'प्राग्ज्योतिषं नाम दभूव दुर्गम्'।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 501 |