"कबहुंक हौं यहि रहनि रहौंगो -तुलसीदास": अवतरणों में अंतर
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कबहुंक हौं यहि रहनि | कबहुंक हौं यहि रहनि रहौगो। | ||
श्री रघुनाथ-कृपाल-कृपा तैं, संत सुभाव | श्री रघुनाथ-कृपाल-कृपा तैं, संत सुभाव गहौगो। | ||
जथा लाभ संतोष सदा, काहू सों कछु न चहौगो। | |||
परहित निरत निरंतर, मन क्रम बचन नेम | परहित निरत निरंतर, मन क्रम बचन नेम निबहौगो। | ||
परुष बचन अति दुसह स्रवन, सुनि तेहि पावक न | परुष बचन अति दुसह स्रवन, सुनि तेहि पावक न दहौगो। | ||
बिगत मान सम सीतल मन, पर-गुन, नहिं दोष | बिगत मान सम सीतल मन, पर-गुन, नहिं दोष कहौगो। | ||
परिहरि देहजनित चिंता दुख सुख समबुद्धि | परिहरि देहजनित चिंता दुख सुख समबुद्धि सहौगो। | ||
तुलसीदास प्रभु यहि पथ रहि अबिचल हरिभक्ति लहौगो। | |||
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05:37, 24 दिसम्बर 2011 का अवतरण
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कबहुंक हौं यहि रहनि रहौगो। |
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