मुंडेश्वरी मंदिर
मुंडेश्वरी मंदिर बिहार के सबसे प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर बिहार के कैमूर ज़िले के भगवानपुर अंचल में पवरा पहाड़ी पर 608 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। यह प्राचीन मंदिर पुरातात्विक धरोहर ही नहीं, अपितु तीर्थाटन व पर्यटन का जीवंत केन्द्र भी है। इसे कब और किसने बनाया, यह दावे के साथ कहना कठिन है, लेकिन इसमें कोई सन्देह नहीं कि यह भारत के सर्वाधिक प्राचीन व सुंदर मंदिरों में एक है। भारत के 'पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग' द्वारा संरक्षित मुंडेश्वरी मंदिर के पुरुत्थान के लिए योजनायें बनाई जा रही है और इसके साथ ही इसे यूनेस्को की लिस्ट में भी शामिल करवाने के प्रयास जारी हैं।
प्राचीनता
मुंडेश्वरी मंदिर की प्राचीनता का महत्व इस दृष्टि से और भी अधिक है कि यहाँ पर पूजा की परंपरा 1900 सालों से अविच्छिन्न चली आ रही है और आज भी यह मंदिर पूरी तरह जीवंत है। बड़ी संख्या में भक्तों का यहाँ आना-जाना लगा रहता है। यह मंदिर भारत का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है।
रोचक तथ्य
- यहाँ भगवान शिव का एक चतुर्मुखी शिवलिंग है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका रंग सुबह, दोपहर और शाम को अलग-अलग दिखाई देता है।
- माँ मुंडेश्वरी के इस मंदिर में बकरे की बलि नहीं दी जाती, बल्कि बकरे को देवी के सामने लाया जाता है और उस पर पुरोहित मन्त्र वाले चावल छिडकता है, जिससे वह बेहोश हो जाता है और फिर उसे बाहर छोड़ दिया जाता है।
- वर्षों बाद मुंडेश्वरी मंदिर में 'तांडुलम भोग' अर्थात 'चावल का भोग' और वितरण की परंपरा पुन: की गई है। ऐसा माना जाता है कि 108 ईस्वी में यहाँ यह परंपरा जारी थी।
- मंदिर का अष्टाकार गर्भगृह इसके निर्माण से अब तक कायम है।
- जानकार यह मानते हैं कि उत्तर प्रदेश के कुशीनगर और नेपाल के कपिलवस्तु का मार्ग मुंडेश्वरी मंदिर से जुड़ा हुआ था।
- 'माता वैष्णो देवी' की तर्ज पर इस मंदिर का विकास किये जाने की योजनायें बिहार राज्य सरकार ने बनाई हैं।
- मुंडेश्वरी मंदिर का संरक्षक एक मुस्लिम परिवार है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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