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==सामान्य परिचय==
 
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गौरैया एक छोटी चिड़िया है। यह हल्की भूरे रंग या [[सफेद रंग]] में होती है। इसके शरीर पर छोटे-छोटे पंख और पीली चोंच व पैरों का रंग [[पीला रंग|पीला]] होता है। नर गौरैया की पहचान उसके गले के पास काले धब्बे से होती है। 14 से 16 सेमी लंबी यह चिड़िया मनुष्य के बनाए हुए घरों के आसपास रहना पसंद करती है। इसे हर तरह की जलवायु पसंद है। गाँवों- कस्बों-शहरों और खेतों के आसपास यह बहुतायत से पायी जाती है। नर गौरैया के सिर का ऊपरी भाग, नीचे का भाग तथा गालों का रंग [[भूरा रंग|भूरा]] होता है। गला, चोंच और आँखों पर [[काला रंग]] होता है। जबकि मादा चिड़िया के सिर और गले पर भूरा रंग नहीं होता। लोग इन्हें चिड़ा-चिड़िया भी कहते हैं। यह निहायत ही घरेलू किस्म का पक्षी है, जो [[यूरोप]] और [[एशिया]] में सामान्य रुप से पाया जाता है। मनुष्य जहाँ-जहाँ भी गया, इस पक्षी ने उसका अनुसरण किया। उन्हीं के घरों के छप्परों में घोंसला बनाया और रहने लगा। इस तरह यह [[अफ़्रीका महाद्वीप|अफ़्रीका]], [[यूरोप]], [[आस्ट्रेलिया]] और [[एशिया]] में सामान्यतया पाया जाने लगा।
 
गौरैया एक छोटी चिड़िया है। यह हल्की भूरे रंग या [[सफेद रंग]] में होती है। इसके शरीर पर छोटे-छोटे पंख और पीली चोंच व पैरों का रंग [[पीला रंग|पीला]] होता है। नर गौरैया की पहचान उसके गले के पास काले धब्बे से होती है। 14 से 16 सेमी लंबी यह चिड़िया मनुष्य के बनाए हुए घरों के आसपास रहना पसंद करती है। इसे हर तरह की जलवायु पसंद है। गाँवों- कस्बों-शहरों और खेतों के आसपास यह बहुतायत से पायी जाती है। नर गौरैया के सिर का ऊपरी भाग, नीचे का भाग तथा गालों का रंग [[भूरा रंग|भूरा]] होता है। गला, चोंच और आँखों पर [[काला रंग]] होता है। जबकि मादा चिड़िया के सिर और गले पर भूरा रंग नहीं होता। लोग इन्हें चिड़ा-चिड़िया भी कहते हैं। यह निहायत ही घरेलू किस्म का पक्षी है, जो [[यूरोप]] और [[एशिया]] में सामान्य रुप से पाया जाता है। मनुष्य जहाँ-जहाँ भी गया, इस पक्षी ने उसका अनुसरण किया। उन्हीं के घरों के छप्परों में घोंसला बनाया और रहने लगा। इस तरह यह [[अफ़्रीका महाद्वीप|अफ़्रीका]], [[यूरोप]], [[आस्ट्रेलिया]] और [[एशिया]] में सामान्यतया पाया जाने लगा।
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इस पक्षी (गौरैया) की मुख्य छः प्रजातियां पायी जाती है-
 
इस पक्षी (गौरैया) की मुख्य छः प्रजातियां पायी जाती है-
 
# हाउस स्पेरो अथवा घरेलू चिड़िया
 
# हाउस स्पेरो अथवा घरेलू चिड़िया

09:49, 26 जुलाई 2014 का अवतरण

गौरैया एक घरेलू चिड़िया है जो यूरोप और एशिया में सामान्य रूप से हर जगह पाई जाती है। यह विश्व में सबसे अधिक पाए जाने वाले पक्षियों में से है। लोग जहाँ भी घर बनाते हैं देर सबेर गौरैया के जोड़े वहाँ रहने पहुँच ही जाते हैं।

सामान्य परिचय

गौरैया एक छोटी चिड़िया है। यह हल्की भूरे रंग या सफेद रंग में होती है। इसके शरीर पर छोटे-छोटे पंख और पीली चोंच व पैरों का रंग पीला होता है। नर गौरैया की पहचान उसके गले के पास काले धब्बे से होती है। 14 से 16 सेमी लंबी यह चिड़िया मनुष्य के बनाए हुए घरों के आसपास रहना पसंद करती है। इसे हर तरह की जलवायु पसंद है। गाँवों- कस्बों-शहरों और खेतों के आसपास यह बहुतायत से पायी जाती है। नर गौरैया के सिर का ऊपरी भाग, नीचे का भाग तथा गालों का रंग भूरा होता है। गला, चोंच और आँखों पर काला रंग होता है। जबकि मादा चिड़िया के सिर और गले पर भूरा रंग नहीं होता। लोग इन्हें चिड़ा-चिड़िया भी कहते हैं। यह निहायत ही घरेलू किस्म का पक्षी है, जो यूरोप और एशिया में सामान्य रुप से पाया जाता है। मनुष्य जहाँ-जहाँ भी गया, इस पक्षी ने उसका अनुसरण किया। उन्हीं के घरों के छप्परों में घोंसला बनाया और रहने लगा। इस तरह यह अफ़्रीका, यूरोप, आस्ट्रेलिया और एशिया में सामान्यतया पाया जाने लगा।

प्रजातियाँ

इस पक्षी (गौरैया) की मुख्य छः प्रजातियां पायी जाती है-

  1. हाउस स्पेरो अथवा घरेलू चिड़िया
  2. स्पेनिश स्पेरो
  3. सिंड स्पेरो
  4. रसेट स्पेरो
  5. डेड सी स्पेरो
  6. ट्री स्पेरो।

इनके अलावा सोमाली, पिंक बैक्ड, लागो, शेली, स्कोट्रा, कुरी, कैप, नार्दन ग्रे हैडॆड, स्वैनसन, स्वाहिल, डॆहर्ट, सुडान गोल्ड, अरैबियन गोल्ड,चेस्टनट आदि चिड़िया विभिन्न देशों में पायी जाती है। इनके रंग-रुप-आकार- प्रकार देश-प्रदेश की जलवायु के अनुसार परिवर्तित हुए हैं।[1]

धार्मिक महत्त्व

भारतीय पौराणिक मान्यताओं अनुसार यह चिड़िया जिस भी घर में या उसके आंगन में रहती है वहां सुख और शांति बनी रहती है। खुशियां उनके द्वार पर हमेशा खड़ी रहती है और वह घर दिनोंदिन तरक्की करता रहता है। इसके अलावा भी हिंदू धर्म में ऐसे और भी पक्षी हैं जिनका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व माना गया है। पक्षियों को हिंदू धर्म में देवता और पितर माना गया है। कहते हैं जिस दिन आकाश से पक्षी लुप्त हो जाएंगे उस दिन धरती से मनुष्य भी लुप्त हो जाएगा। किसी भी पक्षी को मारना अपने पितरों को मारना माना गया है।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. दु‍ष्यंतकुमार यादव का आलेख - घरेलू चिड़िया (हिंदी) रचनाकार (ब्लॉग)। अभिगमन तिथि: 26 जुलाई, 2014।
  2. गौरैया (हिंदी) वेबदुनिया हिंदी। अभिगमन तिथि: 19 दिसम्बर, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

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