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'''बगलामुखी मंदिर''' [[मध्य प्रदेश]] में तीन मुखों वाली त्रिशक्ति माता का मंदिर है, जो [[शाजापुर]] तहसील नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे स्थित है। [[द्वापर युग|द्वापर युगीन]] यह मंदिर अत्यंत चमत्कारिक है। यहाँ देश भर से [[शैव]] और [[शाक्त]] मार्गी [[साधु]]-[[संत]] तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते रहते हैं।  
 
'''बगलामुखी मंदिर''' [[मध्य प्रदेश]] में तीन मुखों वाली त्रिशक्ति माता का मंदिर है, जो [[शाजापुर]] तहसील नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे स्थित है। [[द्वापर युग|द्वापर युगीन]] यह मंदिर अत्यंत चमत्कारिक है। यहाँ देश भर से [[शैव]] और [[शाक्त]] मार्गी [[साधु]]-[[संत]] तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते रहते हैं।  
 
==पौराणिक उल्लेख==
 
==पौराणिक उल्लेख==
प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महाविद्याओं का उल्लेख मिलता है। उनमें से एक है- बगलामुखी। माँ भगवती बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है। विश्व में इनके सिर्फ तीन ही महत्वपूर्ण प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें 'सिद्धपीठ' कहा जाता है। [[भारत]] में बगुलामुखी के तीन ही ऐतिहासिक मंदिर माने गये हैं, जो क्रमश: [[दतिया]] ([[मध्य प्रदेश]]), [[कांगड़ा]] ([[हिमाचल प्रदेश]]) और [[शाजापुर]] ([[मध्य प्रदेश]]) में हैं।<ref>{{cite web |url=http://teerth.onetourist.in/2012/06/blog-post_7122.html |title=माँ बगुलामुखी का प्राचीन मन्दिर|accessmonthday= 06 जुलाई|accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
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प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महाविद्याओं का उल्लेख मिलता है। उनमें से एक है- बगलामुखी। माँ भगवती बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है। विश्व में इनके सिर्फ तीन ही महत्त्वपूर्ण प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें 'सिद्धपीठ' कहा जाता है। [[भारत]] में बगुलामुखी के तीन ही ऐतिहासिक मंदिर माने गये हैं, जो क्रमश: [[दतिया]] ([[मध्य प्रदेश]]), [[कांगड़ा]] ([[हिमाचल प्रदेश]]) और [[शाजापुर]] ([[मध्य प्रदेश]]) में हैं।<ref>{{cite web |url=http://teerth.onetourist.in/2012/06/blog-post_7122.html |title=माँ बगुलामुखी का प्राचीन मन्दिर|accessmonthday= 06 जुलाई|accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
 
====ऐतिहासिकता====
 
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बगुलामुखा का यह बहुत ही प्राचीन मंदिर है। यहाँ के पुजारी अपनी दसवीं पीढ़ी से [[पूजा]]-पाठ करते आए हैं। 1815 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था। मंदिर में लोग अपनी मनोकामना पूरी करने या किसी भी क्षेत्र में विजय प्राप्त करने के लिए [[यज्ञ]], हवन या पूजन-पाठ कराते हैं। यहाँ के पंडितों के अनुसार यह मंदिर श्मशान क्षेत्र में स्थित है। बगलामुखी माता मूलत: तंत्र की देवी हैं, इसलिए यहाँ पर तांत्रिक अनुष्ठानों का महत्व अधिक है। यह मंदिर इसलिए महत्व रखता है, क्योंकि यहाँ की मूर्ति स्वयंभू और जाग्रत है तथा इस मंदिर की स्थापना स्वयं महाराज [[युधिष्ठिर]] ने की थी।
 
बगुलामुखा का यह बहुत ही प्राचीन मंदिर है। यहाँ के पुजारी अपनी दसवीं पीढ़ी से [[पूजा]]-पाठ करते आए हैं। 1815 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था। मंदिर में लोग अपनी मनोकामना पूरी करने या किसी भी क्षेत्र में विजय प्राप्त करने के लिए [[यज्ञ]], हवन या पूजन-पाठ कराते हैं। यहाँ के पंडितों के अनुसार यह मंदिर श्मशान क्षेत्र में स्थित है। बगलामुखी माता मूलत: तंत्र की देवी हैं, इसलिए यहाँ पर तांत्रिक अनुष्ठानों का महत्व अधिक है। यह मंदिर इसलिए महत्व रखता है, क्योंकि यहाँ की मूर्ति स्वयंभू और जाग्रत है तथा इस मंदिर की स्थापना स्वयं महाराज [[युधिष्ठिर]] ने की थी।

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Disamb2.jpg बगलामुखी मंदिर एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- बगलामुखी मंदिर

बगलामुखी मंदिर मध्य प्रदेश में तीन मुखों वाली त्रिशक्ति माता का मंदिर है, जो शाजापुर तहसील नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे स्थित है। द्वापर युगीन यह मंदिर अत्यंत चमत्कारिक है। यहाँ देश भर से शैव और शाक्त मार्गी साधु-संत तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते रहते हैं।

पौराणिक उल्लेख

प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महाविद्याओं का उल्लेख मिलता है। उनमें से एक है- बगलामुखी। माँ भगवती बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है। विश्व में इनके सिर्फ तीन ही महत्त्वपूर्ण प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें 'सिद्धपीठ' कहा जाता है। भारत में बगुलामुखी के तीन ही ऐतिहासिक मंदिर माने गये हैं, जो क्रमश: दतिया (मध्य प्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) और शाजापुर (मध्य प्रदेश) में हैं।[1]

ऐतिहासिकता

बगुलामुखा का यह बहुत ही प्राचीन मंदिर है। यहाँ के पुजारी अपनी दसवीं पीढ़ी से पूजा-पाठ करते आए हैं। 1815 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था। मंदिर में लोग अपनी मनोकामना पूरी करने या किसी भी क्षेत्र में विजय प्राप्त करने के लिए यज्ञ, हवन या पूजन-पाठ कराते हैं। यहाँ के पंडितों के अनुसार यह मंदिर श्मशान क्षेत्र में स्थित है। बगलामुखी माता मूलत: तंत्र की देवी हैं, इसलिए यहाँ पर तांत्रिक अनुष्ठानों का महत्व अधिक है। यह मंदिर इसलिए महत्व रखता है, क्योंकि यहाँ की मूर्ति स्वयंभू और जाग्रत है तथा इस मंदिर की स्थापना स्वयं महाराज युधिष्ठिर ने की थी।

  • माँ बगुलामुखी के इस मंदिर में बिल्वपत्र, चंपा, सफेद आँकड़ा, आंवला, नीम एवं पीपल के वृक्ष एक साथ स्थित हैं। इसके आस-पास सुंदर और हरा-भरा बगीचा देखते ही बनता है। 'नवरात्रि' में यहाँ पर भक्तों का हुजूम लगा रहता है। क्योंकि मंदिर श्मशान क्षेत्र में स्थित है, इसीलिए वर्ष के शेष दिनों में यहाँ पर कम ही लोग आते हैं।

कैसे पहुँचें

  • वायु मार्ग - शाजापुर के बगलामुखी मंदिर स्थल के सबसे निकटतम इंदौर का एयरपोर्ट है।
  • रेल मार्ग - रेल द्वारा इंदौर से 30 कि.मी. पर स्थित देवास या लगभग 60 किमी मक्सी पहुँचकर भी शाजापुर ज़िले के गाँव नलखेड़ा पहुँच सकते हैं।
  • सड़क मार्ग - इंदौर से लगभग 165 कि.मी. की दूरी पर स्थित शाजापुर पहुँचने के लिए देवास या उज्जैन के रास्ते से जाने के लिए बस और टैक्सी उपलब्ध हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. माँ बगुलामुखी का प्राचीन मन्दिर (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 06 जुलाई, 2013।

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