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मारो मनमों येही वसे छे। आपने होतसे जमाऊं छे॥2॥
 
मारो मनमों येही वसे छे। आपने होतसे जमाऊं छे॥2॥
 
सोना रुपानो पालनो बंधाऊं। रेशमना बंद बांधूं छे॥
 
सोना रुपानो पालनो बंधाऊं। रेशमना बंद बांधूं छे॥
मारा मनमों येडी वसे छे। आपने हात झूलाऊं छे॥३॥
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मारा मनमों येडी वसे छे। आपने हात झूलाऊं छे॥3॥
 
मीराके प्रभू गिरिधर नागर। चरनकमल बलहारु छे॥
 
मीराके प्रभू गिरिधर नागर। चरनकमल बलहारु छे॥
मारा मनमों येही वसे छे। अपना ध्यान धराऊं छे॥४॥
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मारा मनमों येही वसे छे। अपना ध्यान धराऊं छे॥4॥
  
  

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सुंदर मारो सांवरो। मारा घेर आउंछे वनमाली -मीरां
मीरांबाई
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ

सुंदर मारो सांवरो। मारा घेर आउंछे वनमाली॥ध्रु०॥
नाना सुगंधी तेल मंगाऊं। ऊन ऊन पाणी तपाऊं छे॥
मारा मनमों येही वसे छे। आपने हात न्हवलाऊं छे॥1॥
खीर खांड पक्वान मिठाई। उपर घीना लडवा छे॥
मारो मनमों येही वसे छे। आपने होतसे जमाऊं छे॥2॥
सोना रुपानो पालनो बंधाऊं। रेशमना बंद बांधूं छे॥
मारा मनमों येडी वसे छे। आपने हात झूलाऊं छे॥3॥
मीराके प्रभू गिरिधर नागर। चरनकमल बलहारु छे॥
मारा मनमों येही वसे छे। अपना ध्यान धराऊं छे॥4॥

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