पोदनपुर

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पोदनपुर पर जैन तीर्थंकर ऋषभदेव के पुत्र गोमटेश्वर का शासन था। मैसूर राज्य में प्राप्त एक शिलालेख के अनुसार गोमटेश्वर जैनों के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव के पुत्र थे। इनको 'बाहुबली' या 'भुजबली' भी कहते थे। इनमें और इनके ज्येष्ठ भ्राता भरत में ऋषभदेव के विरक्त होने पर राज्य के लिए युद्ध हुआ। बाहुबली ने विजयी होने पर भी राज्य भरत को सौंप दिया और स्वयं तपस्या करने वन में चले गए।

  • भरत ने पोदनपुर में, जहाँ बाहुबली ने राज्य किया था, उनकी पावन स्मृति में उनकी शरीराकृति के अनुरूप ही 525 धनुषों के प्रमाण की एक प्रस्तर प्रतिमा स्थापित करवाई।
  • कालान्तर में मूर्ति के आस-पास का प्रदेश वन कुक्कुटों तथा सर्पों से व्याप्त हो गया, जिससे लोग मूर्ति को ही कुक्कुटेश्वर कहने लगे।
  • समय के साथ-साथ यह मूर्ति लुप्त हो गई और उसके दर्शन अलभ्य हो गये।
  • गंग वंशीय रायमल्ल के मंत्री चामुंडा राय ने इस मूर्ति का वृत्तांत सुनकर इसके दर्शन करने चाहे, किन्तु पोदनपुर की यात्रा कठिन समझकर श्रवणबेलगोला में उन्होंने पोदनपुर की मूर्ति के अनुरूप ही गोमटेश्वर की मूर्ति का निर्माण करवाया।
  • गोमटेश्वर की मूर्ति संसार की विशालतम मूर्तियों में से एक मानी जाती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 578 |


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