धमनार
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धमनार
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विवरण | धमनार ग्राम के निकट 14 शैलकृत गुहा-मन्दिर हैं। इनमें से दो गुफ़ाएँ, जिन्हें भीम बाज़ार और बड़ी कचहरी कहते हैं, यह मुख्य हैं। |
राज्य | मध्य प्रदेश |
ज़िला | मंदसौर ज़िले |
स्थापना | 8वीं या 9वीं सदी ई. |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 24° 11' 0.00", पूर्व - 75° 30' 0.00" |
मार्ग स्थिति | धमनार उज्जैन से 164 किमी दूरी पर स्थित है। |
प्रसिद्धि | भीम बाज़ार गुफ़ा और बड़ी कचहरी गुफ़ा |
कैसे पहुँचें | हवाई जहाज़, रेल, बस आदि से पहुँचा जा सकता है। |
राजा भोज विमानतल हवाई अड्डा | |
भोपाल जंक्शन | |
नादरा बस स्टैंड, हलालपुर बस स्टैंड, पुतलीघर बस स्टैंड, जवाहर चौक बस स्टैंड | |
ऑटो रिक्शा, टैक्सी, मिनी बस | |
कहाँ ठहरें | होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह |
एस.टी.डी. कोड | 0755 |
ए.टी.एम | लगभग सभी |
गूगल मानचित्र | |
अन्य जानकारी | इस बड़े मंदिर के साथ सात छोटे मंदिर भी हैं, जो पहाड़ी में से काटकर बनाए गये हैं। |
धमनार मध्य प्रदेश के मंदसौर ज़िले में स्थित है। धमनार ग्राम के निकट 14 शैलकृत गुहा-मन्दिर हैं। इनमें से दो गुफ़ाएँ, जिन्हें भीम बाज़ार और बड़ी कचहरी कहते हैं, यह मुख्य हैं।
इतिहास
निर्माण-कला के आधार पर इनका समय 8वीं या 9वीं सदी ई. मे जान पड़ता है। भीम बाज़ार एक विशाल गुफा है और सब गुफाओं में बड़ी है। इसमें एक आयताकार आँगन के बीच में एक चैत्य स्थित है। आँगन के तीन ओर छोटे-छोटे कोष्ठ हैं। प्रत्येक पंक्ति के बीच की कोठरी में भी चैत्य बना हुआ है। पश्चिम की ओर की पंक्तियों के बीच की कोठरी में ध्यानमग्न बुद्ध की दो शैलकृत मूर्तियाँ हैं।
स्थापत्य
धमनार के पास ही स्थित छोटा बाज़ार में भी इसी प्रकार की किंतु इनसे छोटी गुफाएँ हैं, जिसमें बुद्ध की मूर्तियाँ भी हैं, किंतु ये नष्ट-भ्रष्ट दशा में हैं। बड़ी कचहरी वास्तव में एक विशाल वर्गाकार चैत्यशाला है, जिसके आगे स्तम्भों पर आधृत एक बरामदा है, जो सामने की ओर एक पत्थर के जंगले से घिरा है। धमनार के हिन्दू स्मारकों में मुख्य धर्मनाथ का मंदिर है, जिसके नाम पर ही इस स्थान का नामकरण हुआ है। यह मंदिर भी शैलकृत है। यह इस प्रदेश के मध्ययुगीन मंदिरों की भाँति ही बना है अर्थात् मुख्य पूजागृह के साथ स्तंभ, सभामंडप और आगे एक छोटा बरामदा है।
धार्मिक अनुश्रुति
धर्मनाथ मंदिर का शिखर भी उत्तरी भारत के मंदिरों की भाँति ही बना है। इस बड़े मंदिर के साथ सात छोटे मंदिर भी हैं, जो पहाड़ी में से काटकर बनाए गये हैं। मुख्य मंदिर के भीतर अथवा बाहरी भाग में किसी प्रकार की नक़्क़ाशी नहीं है और इस विशेषता में यह अन्य मध्ययुगीन मंदिरों से भिन्न है। चतुर्भुज विष्णु की मूर्ति इस मंदिर में प्रतिष्ठापित है, किंतु ऐसा जान पड़ता है कि यहाँ शिव की पूजा भी होती रही है। धर्मनाथ वास्तव में यहाँ स्थित शिवलिंग का ही नाम है।
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