"दरद जाने कोय हेली -मीरां": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
छो (Text replace - "३" to "3")
 
(इसी सदस्य द्वारा किए गए बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 33: पंक्ति 33:
<poem>
<poem>
दरद जाने कोय हेली। मैं दरद दिवानी॥ध्रु०॥
दरद जाने कोय हेली। मैं दरद दिवानी॥ध्रु०॥
घायलकी गत घायल ज्याने। लागी हिये॥१॥
घायलकी गत घायल ज्याने। लागी हिये॥1॥
सुली उपर सेजहमारी। किसबीद रहीये सोय॥२॥
सुली उपर सेजहमारी। किसबीद रहीये सोय॥2॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। वदे सामलीया होय॥३॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। वदे सामलीया होय॥3॥


</poem>
</poem>

10:10, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
दरद जाने कोय हेली -मीरां
मीरांबाई
मीरांबाई
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ

दरद जाने कोय हेली। मैं दरद दिवानी॥ध्रु०॥
घायलकी गत घायल ज्याने। लागी हिये॥1॥
सुली उपर सेजहमारी। किसबीद रहीये सोय॥2॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। वदे सामलीया होय॥3॥

संबंधित लेख