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'''त्रित्व''' [[ईसाई धर्म]] का केंद्रीय तथा गूढ़तम धर्म सिद्धांत ईश्वर के आभ्यंतर स्वरूप से संबंधित है जिसे 'ट्रिनिटी' अर्थात् 'त्रित्व' कहते हैं। त्रित्व के इस धर्म सिद्धांत को [[ईसाई धर्म]] पंडितों ने [[यूनानी]] तथा लातीनी दर्शन के पारिभाषिक शब्दों के सहारे इस प्रकार स्पष्ट करने का प्रयास किया है, एक ही ईश्वरीय स्वभाव में तीन व्यक्ति <ref>परसंस </ref>विद्यमान हैं। तीनों तत्वत:<ref>सब्स्टैंशली</ref> एक हैं। फिर भी पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा में पारस्परिक भिन्नता है। <ref name="nn">{{cite web |url=http:// | {{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय | ||
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'''त्रित्व''' [[ईसाई धर्म]] का केंद्रीय तथा गूढ़तम धर्म सिद्धांत ईश्वर के आभ्यंतर स्वरूप से संबंधित है जिसे 'ट्रिनिटी' अर्थात् 'त्रित्व' कहते हैं। त्रित्व के इस धर्म सिद्धांत को [[ईसाई धर्म]] पंडितों ने [[यूनानी]] तथा लातीनी दर्शन के पारिभाषिक शब्दों के सहारे इस प्रकार स्पष्ट करने का प्रयास किया है, एक ही ईश्वरीय स्वभाव में तीन व्यक्ति <ref>परसंस </ref>विद्यमान हैं। तीनों तत्वत:<ref>सब्स्टैंशली</ref> एक हैं। फिर भी पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा में पारस्परिक भिन्नता है। <ref name="nn">{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B5|title=त्रित्व|accessmonthday=7 अगस्त|accessyear=2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतखोज|language=हिन्दी}}</ref> | |||
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त्रित्व का अर्थ है कि एक ही ईश्वर में तीन व्यक्ति हैं - | त्रित्व का अर्थ है कि एक ही ईश्वर में तीन व्यक्ति हैं - | ||
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==सिद्धांत तथा आत्मा की उत्पत्ति == | ==सिद्धांत तथा आत्मा की उत्पत्ति == | ||
त्रित्व के इस धर्म सिद्धांत को [[ईसाई धर्म]] पंडितों ने [[यूनानी]] तथा लातीनी दर्शन के पारिभाषिक शब्दों के सहारे इस प्रकार स्पष्ट करने का प्रयास किया है, एक ही ईश्वरीय स्वभाव में तीन व्यक्ति <ref>परसंस </ref>विद्यमान हैं। तीनों तत्वत:<ref>सब्स्टैंशली</ref> एक हैं। अत: तीनों की एक ही संकल्प शक्ति तथा एक ही बुद्धि हैं। फिर भी पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा में पारस्परिक भिन्नता है। पिता किसी से उत्पन्न नहीं होता है। पुत्र आदिकाल से पिता से परिपूर्ण ईश्वरत्व ग्रहण करता है। पुत्र की इस उत्पत्ति को प्रजनन <ref>जेनेरेशन </ref> कहते हैं। आत्मा की उत्पत्ति को प्रजनन कहते हैं। पवित्र आत्मा की उत्पत्ति पिता तथा पुत्र दोनों से मानी जाती है और प्रसरण<ref>प्रोसेशन</ref> कहलाती है। पुत्र के प्रजनन तथा पवित्र आत्मा से प्रसरण से तीनों व्यक्तियों की पारस्परिक भिन्नता उत्पन्न होती है, किंतु तत्वत: तीनों एक हैं और समान रूप से सभी ईश्वरीय गुणों से समन्वित हैं।<ref>प्राच्य चर्च में पवित्र आत्मा का प्रसरण पिता से माना जाता है</ref>। | त्रित्व के इस धर्म सिद्धांत को [[ईसाई धर्म]] पंडितों ने [[यूनानी]] तथा लातीनी दर्शन के पारिभाषिक शब्दों के सहारे इस प्रकार स्पष्ट करने का प्रयास किया है, एक ही ईश्वरीय स्वभाव में तीन व्यक्ति <ref>परसंस </ref>विद्यमान हैं। तीनों तत्वत:<ref>सब्स्टैंशली</ref> एक हैं। अत: तीनों की एक ही संकल्प शक्ति तथा एक ही बुद्धि हैं। फिर भी पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा में पारस्परिक भिन्नता है। पिता किसी से उत्पन्न नहीं होता है। पुत्र आदिकाल से पिता से परिपूर्ण ईश्वरत्व ग्रहण करता है। पुत्र की इस उत्पत्ति को प्रजनन <ref>जेनेरेशन </ref> कहते हैं। आत्मा की उत्पत्ति को प्रजनन कहते हैं। पवित्र आत्मा की उत्पत्ति पिता तथा पुत्र दोनों से मानी जाती है और प्रसरण<ref>प्रोसेशन</ref> कहलाती है। पुत्र के प्रजनन तथा पवित्र आत्मा से प्रसरण से तीनों व्यक्तियों की पारस्परिक भिन्नता उत्पन्न होती है, किंतु तत्वत: तीनों एक हैं और समान रूप से सभी ईश्वरीय गुणों से समन्वित हैं।<ref>प्राच्य चर्च में पवित्र आत्मा का प्रसरण पिता से माना जाता है</ref>। |
12:27, 25 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण
त्रित्व
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विवरण | 'ईसाई धर्म' या 'मसीही धर्म' या 'मसयहयत' विश्व के प्रमुख धर्मों में से एक है जिसके ताबईन ईसाई कहलाते हैं |
मुख्य सम्प्रदाय | कैथोलिक, प्रोटैस्टैंट, आर्थोडोक्स, मॉरोनी, एवनजीलक |
प्रवर्तक | ईसा मसीह (जीसस क्राइस्ट) |
आस्था सूत्र | मैं आकाश तथा पृथ्वी एवं सभी गोचर-अगोचर वस्तुओं के सृजक एकमात्र महाशक्तिमान पिता प्रभु तथा उनके पुत्र ईसा मसीह में विश्वास करता हूँ। |
ईसाई त्रयंक | त्रित्व ईसाई धर्म का केंद्रीय तथा गूढ़तम धर्म सिद्धांत ईश्वर के आभ्यंतर स्वरूप से संबंधित है जिसे 'ट्रिनिटी' अर्थात् 'त्रित्व' कहते हैं। |
धर्म ग्रन्थ | बाइबिल |
धर्म प्रचार | ईसा मसीह के प्रमुख शिष्यों में से एक संत टामस ने प्रथम शताब्दी ईस्वी में ही भारत में मद्रास के पास आकर ईसाई धर्म का प्रचार किया था। |
अन्य जानकारी | त्रित्व के इस धर्म सिद्धांत को ईसाई धर्म पंडितों ने यूनानी तथा लातीनी दर्शन के पारिभाषिक शब्दों के सहारे इस प्रकार स्पष्ट करने का प्रयास किया है, एक ही ईश्वरीय स्वभाव में तीन व्यक्ति [1]विद्यमान हैं। तीनों तत्वत:[2] एक हैं। अत: तीनों की एक ही संकल्प शक्ति तथा एक ही बुद्धि हैं। |
त्रित्व ईसाई धर्म का केंद्रीय तथा गूढ़तम धर्म सिद्धांत ईश्वर के आभ्यंतर स्वरूप से संबंधित है जिसे 'ट्रिनिटी' अर्थात् 'त्रित्व' कहते हैं। त्रित्व के इस धर्म सिद्धांत को ईसाई धर्म पंडितों ने यूनानी तथा लातीनी दर्शन के पारिभाषिक शब्दों के सहारे इस प्रकार स्पष्ट करने का प्रयास किया है, एक ही ईश्वरीय स्वभाव में तीन व्यक्ति [3]विद्यमान हैं। तीनों तत्वत:[4] एक हैं। फिर भी पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा में पारस्परिक भिन्नता है। [5]

त्रित्व का अर्थ
त्रित्व का अर्थ है कि एक ही ईश्वर में तीन व्यक्ति हैं -
पिता, पुत्र तथा पवित्र आत्मा[6]। ये तीनों समान रूप से अनादि, अनंत और सर्वशक्तिमान हैं क्योंकि तर्क के बल पर मानव बुद्धि केवल एक सर्वशक्तिमान सृष्टिकर्ता ईश्वर के अस्तित्व तक पहुँच सकती है। त्रित्व के धर्म सिद्धांत पर इसीलिये विश्वास किया जाता है कि उसकी शिक्षा ईसा ने दी है। बाइबिल के पूर्वार्ध से पता चलता है कि यहूदी धर्म में एकेश्वरवाद पर विशेष बल दिया गया था। बाइबिल के उत्तरार्ध में ईसा ने उस एकेश्वर को बनाए रखते हुए भी यह शिक्षा देते हैं कि मैं और परम पिता परमेश्वर एक ही हैं[7]। इसके अतिरिक्त वह अपने शिष्यों से कहते हैं कि मैं पवित्र आत्मा को भेज दूँगा, जो अव्यक्त रूप से तुम लोगों के साथ रहेगा। उस पवित्र आत्मा को भी वह ईश्वरीय गुणों से समन्वित मानते हैं। इस प्रकार ईसा ने स्पष्ट रूप से बताया है कि एक ही परमेश्वर में पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा विद्यमान हैं। बाद में त्र्येक (त्रि+एक) ईश्वर की इस विशेषता को त्रित्व का नाम दिया गया है।[5]

Bible
सिद्धांत तथा आत्मा की उत्पत्ति
त्रित्व के इस धर्म सिद्धांत को ईसाई धर्म पंडितों ने यूनानी तथा लातीनी दर्शन के पारिभाषिक शब्दों के सहारे इस प्रकार स्पष्ट करने का प्रयास किया है, एक ही ईश्वरीय स्वभाव में तीन व्यक्ति [8]विद्यमान हैं। तीनों तत्वत:[9] एक हैं। अत: तीनों की एक ही संकल्प शक्ति तथा एक ही बुद्धि हैं। फिर भी पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा में पारस्परिक भिन्नता है। पिता किसी से उत्पन्न नहीं होता है। पुत्र आदिकाल से पिता से परिपूर्ण ईश्वरत्व ग्रहण करता है। पुत्र की इस उत्पत्ति को प्रजनन [10] कहते हैं। आत्मा की उत्पत्ति को प्रजनन कहते हैं। पवित्र आत्मा की उत्पत्ति पिता तथा पुत्र दोनों से मानी जाती है और प्रसरण[11] कहलाती है। पुत्र के प्रजनन तथा पवित्र आत्मा से प्रसरण से तीनों व्यक्तियों की पारस्परिक भिन्नता उत्पन्न होती है, किंतु तत्वत: तीनों एक हैं और समान रूप से सभी ईश्वरीय गुणों से समन्वित हैं।[12]।
तत्व संबंधी धारणाएँ
शताब्दियों तक इस धर्म सिद्धांत पर चिंतन किया गया है और तत्व संबंधी अनेक धारणाओं को भ्रामक ठहराया गया है। त्रिदेवतावाद, जो तीन भिन्न ईश्वरीय तत्व मानता है स्पष्टतया भ्रामक है, क्योंकि इस प्रकार तीन स्वतंत्र देवताओं का अस्तित्व स्वीकार किया जाता है। मोदालिस्म के अनुसार पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा एक ही ईश्वर के तीन पहलू हैं जो सृष्टि के कारण उत्पन्न हो जाते हैं-पिता सृष्टिकर्ता है, पुत्र हमारा उद्धार करता है तथा पवित्र आत्मा हमको पवित्र करता है। चर्च ने इस वाद को तीसरी तथा चौथी शताब्दी में ठुकराकर यह बताया कि सृष्टि से पहले ही ईश्वर में तीन व्यक्ति विद्यान थे। निसेआ 325 ई. की विश्वसभा ने त्रित्व विषयक उन सभी व्याख्याओं को भ्रामक ठहराया है, जिनके अनुसार पुत्र अथवा पवित्र आत्मा पिता से गौण माने जाते हैं। उस सभा में यह स्पष्ट घोषित किया गया है कि पिता और पुत्र तत्वत: एक ही हैं।[5]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ परसंस
- ↑ सब्स्टैंशली
- ↑ परसंस
- ↑ सब्स्टैंशली
- ↑ 5.0 5.1 5.2 त्रित्व (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 7 अगस्त, 2015।
- ↑ फादर, सन ऐंड होली गोस्ट
- ↑ वास्तव में यहूदियों ने इसी कारण से ईसा को प्राणदंड दिया
- ↑ परसंस
- ↑ सब्स्टैंशली
- ↑ जेनेरेशन
- ↑ प्रोसेशन
- ↑ प्राच्य चर्च में पवित्र आत्मा का प्रसरण पिता से माना जाता है
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