"थे तो पलक उघाड़ो दीनानाथ -मीरां": अवतरणों में अंतर
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थे तो पलक उघाड़ो दीनानाथ,मैं हाजिर-नाजिर | थे तो पलक उघाड़ो दीनानाथ,मैं हाजिर-नाजिर क़द की खड़ी॥ | ||
साजणियां दुसमण होय बैठ्या, सबने लगूं कड़ी। | साजणियां दुसमण होय बैठ्या, सबने लगूं कड़ी। | ||
तुम बिन साजन कोई नहिं है, डिगी नाव मेरी समंद अड़ी॥ | तुम बिन साजन कोई नहिं है, डिगी नाव मेरी समंद अड़ी॥ |
12:28, 20 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
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