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कार्तिगाई दीपम

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कार्तिगाई दीपम विशेष तौर से तमिल हिन्दुओं द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है। यह त्योहार तमिल लोगों द्वारा मनाये जाने वाले सबसे पुराने त्यौहारों में से एक है। त्योहार के दिन शाम के समय घरों और गलियों में तेल के दीपक एक पंक्ति में जलायें जाते हैं।

  • 'कार्तिगाई दीपम' और 'कार्तिकाई दीपम' का उपयोग आपस में अदल-बदल कर किया जाता है।
  • कार्तिगाई दीपम का नाम 'कार्तिकाई' या कृत्तिका नक्षत्र से लिया गया है। जिस दिन कृत्तिका नक्षत्र प्रबल होता है, उस दिन 'कार्तिगाई दीपम' को मनाया जाता है।
  • यह त्योहार भगवान शिव के सम्मान में किया जाता है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने भगवान विष्णु और ब्रह्मा को अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए स्वयं को प्रकाश की अनन्त ज्योत में बदल लिया था।
  • हालाँकि कार्तिगाई के दिन का पालन हर महीने किया जाता है, लेकिन सबसे मुख्य दिन, कार्तिकाई[1] के महीने में पड़ता है। द्रिक पंचांग साल में सभी कार्तिकाई के दिनों को सूचीबद्ध करता है और इसमें सबसे मुख्य कार्तिकाई के दिन जिसे 'कार्तिकाई दीपम' कहते हैं, शामिल है।
  • तिरुवन्नामलई की पहाड़ी में कार्तिगाई का त्यौहार बहुत प्रसिद्ध है।
  • कार्तिगाई के दिन पहाड़ी पर विशाल दीपक जलाया जाता है, जो पहाड़ी के चारों ओर कई किलोमीटर तक दिखता है। इस दीपक को 'महादीपम' कहते हैं और हिन्दू श्रद्धालु यहाँ जाते हैं और भगवान शिव की प्रार्थना करते हैं।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जो अन्य हिन्दू कैलेण्डरों में वृश्चिक सौर माह से मेल खाता है
  2. मासिक कार्तिगाई (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 09 मई, 2014।

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