"लाल बाग़ महल इन्दौर": अवतरणों में अंतर
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==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
लाल बाग़ महल का निर्माण सन् [[1886]] में महाराजा तुकोजी राव होल्कर द्वितीय के राज में प्रारंभ हुआ और महाराजा तुकोजी राव होल्कर तृतीय के शासन काल में संपन्न हुआ। इसका निर्माण तीन चरणों में पूरा हुआ था। लाल बाग़ महल मूल रुप से सामाज्य के महत्वपूर्ण लोगों का मिलन स्थल था। इसी भवन में साम्राज्य के महत्त्वपूर्ण अधिकारी विचार-विर्मश करते थे। 1978 तक यह राजनिवास रहा जिसके अन्तिम निवासी तुकाजीराव (तृतीय) थे। | लाल बाग़ महल का निर्माण सन् [[1886]] में महाराजा तुकोजी राव होल्कर द्वितीय के राज में प्रारंभ हुआ और महाराजा तुकोजी राव होल्कर तृतीय के शासन काल में संपन्न हुआ। इसका निर्माण तीन चरणों में पूरा हुआ था। लाल बाग़ महल मूल रुप से सामाज्य के महत्वपूर्ण लोगों का मिलन स्थल था। इसी भवन में साम्राज्य के महत्त्वपूर्ण अधिकारी विचार-विर्मश करते थे। [[1978]] तक यह राजनिवास रहा जिसके अन्तिम निवासी तुकाजीराव (तृतीय) थे। | ||
==विशेषता== | |||
*निचले तल का प्रवेश कक्ष का फ़र्श संगमरमर से बना पूर्व ऐतिहासिक शिल्पकृति को प्रदर्शित करता है। पहले तल पर मुस्लिम [[सदी]] के बहुत पुराने सिक्को का संग्रह है। यहाँ समकालीन [[भारत]] और इटेलियन चित्र और प्रतिमाओं का सुंदर प्रदर्शन देखने को मिलता है। | *निचले तल का प्रवेश कक्ष का फ़र्श संगमरमर से बना पूर्व ऐतिहासिक शिल्पकृति को प्रदर्शित करता है। पहले तल पर मुस्लिम [[सदी]] के बहुत पुराने सिक्को का संग्रह है। यहाँ समकालीन [[भारत]] और इटेलियन चित्र और प्रतिमाओं का सुंदर प्रदर्शन देखने को मिलता है। | ||
*लाल बाग़ महल परिसर में लोहे का बना भव्य द्वार लंदन के बकिंघम महल के लोहे के दरवाजों की दुगने आकार की प्रति है। [[इंग्लैण्ड]] में इन्हें तैयार कर के पानी के रास्ते भारत लाया गया था। | *लाल बाग़ महल परिसर में [[लोहा|लोहे]] का बना भव्य द्वार [[लंदन]] के बकिंघम महल के लोहे के दरवाजों की दुगने आकार की प्रति है। [[इंग्लैण्ड]] में इन्हें तैयार कर के पानी के रास्ते भारत लाया गया था। | ||
*लाल बाग़ महल के दरवाजों पर राजघराने की मुहर लगी है जिस का अर्थ है 'जो प्रयास करता है वही सफल होता है।' | *लाल बाग़ महल के दरवाजों पर राजघराने की मुहर लगी है जिस का अर्थ है 'जो प्रयास करता है वही सफल होता है।' | ||
*महल की रसोई से नदी का किनारा दिखता है। रसोई से एक रास्ता भूमिगत सुरंग में खुलता है। | *महल की रसोई से नदी का किनारा दिखता है। रसोई से एक रास्ता भूमिगत सुरंग में खुलता है। | ||
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*ये महल आज भी होल्कर शासकों की शानो शौकत और शाही जीवन शैली का जीता जाता नमूना है। अपने अनूठे निर्माण कला की वजह से ये भारत का एक अद्भुत और कलात्मक निवास स्थान माना जाता है।<ref>{{cite web |url=http://alpz2009.wordpress.com/2009/08/02/%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2-%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%BC-%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%B2-%E0%A4%87%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%8C%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF-%E0%A4%AA%E0%A5%8D/ |title=लाल बाग़ महल – इंदौर -’मध्य प्रदेश’ |accessmonthday=[[8 फ़रवरी]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=वर्ड प्रेस |language=[[हिन्दी]] }}</ref> | *ये महल आज भी होल्कर शासकों की शानो शौकत और शाही जीवन शैली का जीता जाता नमूना है। अपने अनूठे निर्माण कला की वजह से ये भारत का एक अद्भुत और कलात्मक निवास स्थान माना जाता है।<ref>{{cite web |url=http://alpz2009.wordpress.com/2009/08/02/%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2-%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%BC-%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%B2-%E0%A4%87%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%8C%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF-%E0%A4%AA%E0%A5%8D/ |title=लाल बाग़ महल – इंदौर -’मध्य प्रदेश’ |accessmonthday=[[8 फ़रवरी]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=वर्ड प्रेस |language=[[हिन्दी]] }}</ref> | ||
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05:38, 16 जून 2012 का अवतरण

लाल बाग़ महल मध्य प्रदेश राज्य के इन्दौर शहर के कई पर्यटन स्थलों में से एक है। यह महल होल्कर राजवंश की वास्तु कला का उत्कृष्ट नमूना है। लाल बाग़ महल इंदौर की भव्य और शानदार इमारतों में से एक है। लाल बाग़ महल ख़ान नदी के किनारे पर 28 एकड़ में बने राजघराने का साधारण दिखने वाला महल है, मगर अन्दर से इस की महंगी सजावट पर्यटकों को आकर्षित करती है।
इतिहास
लाल बाग़ महल का निर्माण सन् 1886 में महाराजा तुकोजी राव होल्कर द्वितीय के राज में प्रारंभ हुआ और महाराजा तुकोजी राव होल्कर तृतीय के शासन काल में संपन्न हुआ। इसका निर्माण तीन चरणों में पूरा हुआ था। लाल बाग़ महल मूल रुप से सामाज्य के महत्वपूर्ण लोगों का मिलन स्थल था। इसी भवन में साम्राज्य के महत्त्वपूर्ण अधिकारी विचार-विर्मश करते थे। 1978 तक यह राजनिवास रहा जिसके अन्तिम निवासी तुकाजीराव (तृतीय) थे।
विशेषता
- निचले तल का प्रवेश कक्ष का फ़र्श संगमरमर से बना पूर्व ऐतिहासिक शिल्पकृति को प्रदर्शित करता है। पहले तल पर मुस्लिम सदी के बहुत पुराने सिक्को का संग्रह है। यहाँ समकालीन भारत और इटेलियन चित्र और प्रतिमाओं का सुंदर प्रदर्शन देखने को मिलता है।
- लाल बाग़ महल परिसर में लोहे का बना भव्य द्वार लंदन के बकिंघम महल के लोहे के दरवाजों की दुगने आकार की प्रति है। इंग्लैण्ड में इन्हें तैयार कर के पानी के रास्ते भारत लाया गया था।
- लाल बाग़ महल के दरवाजों पर राजघराने की मुहर लगी है जिस का अर्थ है 'जो प्रयास करता है वही सफल होता है।'
- महल की रसोई से नदी का किनारा दिखता है। रसोई से एक रास्ता भूमिगत सुरंग में खुलता है।
- महल के कमरों की बनावट और सजावट देखते ही बनती है। कमरे की दीवार पर और छत पर सुंदर कलाकृतियाँ दिखाई देती हैं।
- अब यह मध्य प्रदेश सरकार की निगरानी में है और इस के कुछ हिस्सों को संग्रहालय बना दिया गया है।
- यहाँ का गुलाब बाग़ भारत का सबसे बड़ा गुलाब बाग़ है।
- ये महल आज भी होल्कर शासकों की शानो शौकत और शाही जीवन शैली का जीता जाता नमूना है। अपने अनूठे निर्माण कला की वजह से ये भारत का एक अद्भुत और कलात्मक निवास स्थान माना जाता है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ लाल बाग़ महल – इंदौर -’मध्य प्रदेश’ (हिन्दी) वर्ड प्रेस। अभिगमन तिथि: 8 फ़रवरी, 2011।
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