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बिस्मिल्ला ख़ाँ ने जटिल संगीत की रचना, जिसे तब तक शहनाई के विस्तार से बाहर माना जाता था, में परिवर्द्धन करके अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया और शीघ्र ही उन्हें इस वाद्य से ऐसे जोड़ा जाने लगा, जैसा किसी अन्य वादक के साथ नहीं हुआ। ख़ाँ ने [[भारत]] के पहले [[गणतंत्र दिवस]] समारोह की पूर्व संध्या पर [[नई दिल्ली]] में [[लाल क़िला दिल्ली|लाल क़िले]] से अत्यधिक मर्मस्पर्शी शहनाई वादक प्रस्तुत किया। उन्होंने [[अफ़ग़ानिस्तान]], [[यूरोप]], [[ईरान]], [[इराक]], [[कनाडा]], पश्चिम अफ़्रीका, [[अमेरिका]], भूतपूर्व सोवियत संघ, [[जापान]], [[हांगकांग]] और विश्व भर की लगभग सभी राजधानियों में प्रदर्शन किया है।
 
बिस्मिल्ला ख़ाँ ने जटिल संगीत की रचना, जिसे तब तक शहनाई के विस्तार से बाहर माना जाता था, में परिवर्द्धन करके अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया और शीघ्र ही उन्हें इस वाद्य से ऐसे जोड़ा जाने लगा, जैसा किसी अन्य वादक के साथ नहीं हुआ। ख़ाँ ने [[भारत]] के पहले [[गणतंत्र दिवस]] समारोह की पूर्व संध्या पर [[नई दिल्ली]] में [[लाल क़िला दिल्ली|लाल क़िले]] से अत्यधिक मर्मस्पर्शी शहनाई वादक प्रस्तुत किया। उन्होंने [[अफ़ग़ानिस्तान]], [[यूरोप]], [[ईरान]], [[इराक]], [[कनाडा]], पश्चिम अफ़्रीका, [[अमेरिका]], भूतपूर्व सोवियत संघ, [[जापान]], [[हांगकांग]] और विश्व भर की लगभग सभी राजधानियों में प्रदर्शन किया है।
 
==श्रद्धा==
 
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==पुरस्कार==
 
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*सन [[1956]] में बिस्मिल्ला ख़ाँ को संगीत नाटक अकादमीम से सम्मानित किया गया।  
 
*सन [[1956]] में बिस्मिल्ला ख़ाँ को संगीत नाटक अकादमीम से सम्मानित किया गया।  

05:35, 31 जनवरी 2011 का अवतरण

बिस्मिल्ला ख़ाँ

भारत रत्न सम्मानित बिस्मिल्ला ख़ाँ (जन्म- 21 मार्च 1916 - मृत्यु- 21 अगस्त, 2006) एक सिद्ध शहनाई वादक थे।

परिवार

बिस्मिल्ला ख़ाँ के परदादा शहनाईनवाज़ उस्ताद सालार हुसैन ख़ाँ से शुरू, यह परिवार पिछली पाँच पीढ़ियों से शहनाई वादन का प्रतिपादक रहा है। ख़ाँ को उनके चाचा अली बक्श 'विलायतु' ने संगीत की शिक्षा दी, जो बनारस के पवित्र विश्वनाथ मन्दिर में अधिकृत शहनाई वादक थे।

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जीवन परिचय

बिस्मिल्ला ख़ाँ ने जटिल संगीत की रचना, जिसे तब तक शहनाई के विस्तार से बाहर माना जाता था, में परिवर्द्धन करके अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया और शीघ्र ही उन्हें इस वाद्य से ऐसे जोड़ा जाने लगा, जैसा किसी अन्य वादक के साथ नहीं हुआ। ख़ाँ ने भारत के पहले गणतंत्र दिवस समारोह की पूर्व संध्या पर नई दिल्ली में लाल क़िले से अत्यधिक मर्मस्पर्शी शहनाई वादक प्रस्तुत किया। उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान, यूरोप, ईरान, इराक, कनाडा, पश्चिम अफ़्रीका, अमेरिका, भूतपूर्व सोवियत संघ, जापान, हांगकांग और विश्व भर की लगभग सभी राजधानियों में प्रदर्शन किया है।

श्रद्धा

मज़हबी शिया होने के बावज़ूद ख़ाँ विद्या की हिन्दू देवी सरस्वती के परम उपासक हैं। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और शांतिनिकेतन ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की है।

पुरस्कार

  • सन 1956 में बिस्मिल्ला ख़ाँ को संगीत नाटक अकादमीम से सम्मानित किया गया।
  • सन 1961 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
  • सन 1968 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
  • सन 1980 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
  • 2001 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
  • मध्य प्रदेश में उन्हें सरकार का तानसेन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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